हिंदू धर्म में कर्म का बड़ा महत्व है। अच्छे कर्म स्वर्ग दिलाते हैं और बुरे कर्म से आत्मा को नर्क की यातना भुगतनी पड़ती है। गरुड़ पुराण जैसे शास्त्रों में नर्क जाने वाली आदतों का उल्लेख मिलता है। नीचे वे छह मुख्य लक्षण दिए जा रहे हैं, तो अगर आपमें ये आदतें हैं तो इन्हें बदलना यानी अपने आने वाले कल को बेहतर बनाना है।
बार-बार गुस्सा होना (आपा खो देना)
जो व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर बार-बार आपा खो देता है, हर मौके पर चिल्लाता या चीखता है, तो वह क्रोध का गुलाम बन जाता है। गरुड़ पुराण बताता है कि नियंत्रणहीन क्रोध आत्मा के लिए हानिकारक है।
क्या करें: गहरी सांस, ध्यान, और उस पल का विश्लेषण करना सीखें। प्रतिक्रिया से पहले सोचें।
कटु वाणी – लोगों की भावनाएं ठेस पहुंचाना
जो बातों से दूसरों को आहत करता हो, व्यंग्य में बार-बार अपमान करे या शेख़ी से किसी का मज़ाक उड़ाए, उसकी वाणी कठोर मानी जाती है। पवित्र ग्रंथों में वाणी को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
क्या करें: बोलने से पहले सोचें, मधुर शब्द और सहानुभूति अपनाएं।
स्वार्थ और लालसा में लिप्त होना
जो केवल अपनी चाहतों, धन-लोलुपता और स्वार्थ में डूबा रहता है, वो दूसरों के दुःख से अनभिज्ञ रहता है। गरुड़ पुराण के अनुसार लालची प्रवृत्ति आत्मा को नरक के मार्ग पर ले जा सकती है।
क्या करें: परोपकार, दान-धर्म और संतोष का अभ्यास करें, ये लालसा को कम करते हैं।
बुरी संगति में बैठना
खुद पाप न करने पर भी अगर कोई लगातार पापियों के साथ रहता है, उनकी संगति अपनाता है, तो उसे उसी तरह के परिणाम भुगतने पड़ते हैं। संगति से व्यक्ति का चरित्र ढल जाता है।
क्या करें: अच्छे लोगों और ईमानदार समाज का सहारा लें; बुरी संगत से दूरी बनाइए।
माता-पिता और बड़ों का अपमान या गुस्सा
जो अपने माँ-बाप, गुरु या बड़ों का सम्मान नहीं करता, उनका अपमान करता है या क्रोध दिखाता है, शास्त्रों में इसे बड़ा पाप माना गया है। इस कारण व्यक्ति को चैन नहीं मिलता।
क्या करें: आदर व कृतज्ञता रखें; गलती होने पर माफी मांगें और कर्म सुधारें।
दूसरों के दुःख पर उदासीन रहना / करुणा की कमी
जो अपने पड़ोसी, जरूरतमंद या कमजोरों के दुःख पर आंखें मूंद लेता है, उसकी आत्मा में करुणा का अभाव होता है। गरुड़ पुराण में करुणा को पुण्य और शांति का स्रोत माना गया है।
क्या करें: छोटे-छोटे दान, सहायता और सहानुभूति से जीवन में बदलाव लाएं। करुणा से आत्मा उन्नत होती है।
बदलने का आसान रास्ता
गरुड़ पुराण के ये लक्षण चेतावनी हैं, न कि सजा-वचन। अगर आप इनमें से किसी आदत को पाते हैं, तो आज से ही धीरे-धीरे उसे बदलना शुरु कर दें। स्वयं पर नियंत्रण, मधुर वाणी, दान-धर्म, सत्संग और माता-पिता का सम्मान ये छोटे-छोटे कदम आपकी आत्मा को सकारात्मक दिशा में मोड़ देंगे।