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साइलेंट किलर है ये कैंसर, आखिरी स्टेज तक लक्षणों का नहीं चलता पता

कैंसर
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कैंसर एक ऐसा नाम है, जिसे सुनते ही मन में डर पैदा हो जाता है। ये एक गंभीर और जानलेवा बीमारी हो सकती है, लेकिन अच्छी बात ये है कि आज के समय में इसका इलाज संभव है। फिर भी, कई बार कैंसर का पता देर से चलने की वजह से इलाज मुश्किल हो जाता है। खासकर जब बात पैंक्रियाज कैंसर की हो, तो ये और भी चुनौतीपूर्ण बन जाता है। पैंक्रियाज कैंसर को “साइलेंट किलर” कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण देर से दिखाई देते हैं। आइए इस ब्लॉग में जानते हैं कि पैंक्रियाज कैंसर क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, और ये क्यों इतना खतरनाक माना जाता है।

पैंक्रियाज कैंसर को क्यों कहते हैं साइलेंट किलर?
पैंक्रियाज कैंसर को साइलेंट किलर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण बहुत मामूली होते हैं या कभी-कभी तो दिखाई ही नहीं देते। इसकी वजह से समय पर इसकी पहचान करना बेहद मुश्किल हो जाता है। जब तक इसके लक्षण साफ तौर पर सामने आते हैं, तब तक ये कैंसर आमतौर पर एडवांस स्टेज में पहुंच चुका होता है। इस स्टेज में इलाज की सफलता की संभावना काफी कम हो जाती है। यही कारण है कि इसे साइलेंट किलर के नाम से जाना जाता है।

पैंक्रियाज कैंसर के लक्षण क्या हैं?
पैंक्रियाज कैंसर के लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि लोग इन्हें अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन इन छोटे-छोटे बदलावों को अनदेखा करना आगे चलकर भारी पड़ सकता है। अगर आपको अपने शरीर में नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो इसे हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें:

  • पेट या पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द: लगातार दर्द जो ठीक न हो।
  • वजन का अचानक घटना: बिना किसी कारण के वजन में कमी।
  • भूख में कमी: खाने की इच्छा न होना या कम खाना।
  • पीलिया के लक्षण: आंखों और त्वचा का पीला पड़ना।
  • मिचली या उल्टी: बार-बार ऐसा महसूस होना।
  • थकान: बहुत ज्यादा थकावट महसूस करना।
  • पेशाब और मल में बदलाव: गहरे रंग का पेशाब और हल्के रंग का मल।
  • अचानक डायबिटीज: बिना किसी वजह के डायबिटीज का पता चलना।

इन लक्षणों को नजरअंदाज करने से बचें, क्योंकि ये पैंक्रियाज कैंसर का संकेत हो सकते हैं।

किन लोगों को है पैंक्रियाज कैंसर का ज्यादा खतरा?
कुछ लोगों में पैंक्रियाज कैंसर का जोखिम दूसरों की तुलना में ज्यादा होता है। अगर आप इनमें से किसी श्रेणी में आते हैं, तो आपको अपनी सेहत के प्रति ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है:

  • धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन: ये आदतें कैंसर के खतरे को बढ़ाती हैं।
  • उम्र: 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में ये जोखिम ज्यादा होता है।
  • पारिवारिक इतिहास: अगर परिवार में किसी को कैंसर रहा हो।
  • मोटापा और डायबिटीज: मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में खतरा ज्यादा।

अगर आप इनमें से किसी भी जोखिम वाले समूह में हैं, तो नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आपके लिए जरूरी है।

पैंक्रियाज कैंसर से बचाव और जागरूकता
पैंक्रियाज कैंसर का इलाज मुश्किल हो सकता है, लेकिन समय पर पहचान और सही कदम इसे नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने शरीर के संकेतों को समझें और किसी भी असामान्य बदलाव को गंभीरता से लें। धूम्रपान और शराब से दूरी, संतुलित आहार, और नियमित व्यायाम आपके जोखिम को कम कर सकते हैं।

अगर आपको पैंक्रियाज कैंसर के बारे में और जानकारी चाहिए या आप अपने लक्षणों को लेकर चिंतित हैं, तो तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें। जागरूकता ही इस साइलेंट किलर से लड़ने का पहला कदम है।

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