Trump’s Hindu Outreach: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 में एक ऐतिहासिक मोड़ आ गया है। हिंदू वोटर आकर्षण (Trump Hindu Appeal) के साथ डोनाल्ड ट्रंप ने पहली बार इतने खुलकर हिंदू मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है। इस चुनाव में भारतीय मूल के मतदाताओं की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है, जिसने अमेरिकी राजनीति को एक नई दिशा दी है।
भारतीय प्रतिभा का बढ़ता प्रभाव
अमेरिका में हिंदू वोटर आकर्षण (Trump Hindu Appeal) की राजनीति अब नई ऊंचाइयों को छू रही है। यह कोई संयोग नहीं है कि सिलिकॉन वैली से लेकर वॉल स्ट्रीट तक, भारतीय मूल के पेशेवरों ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और यूट्यूब जैसी दिग्गज टेक कंपनियों में भारतीय मूल के लोगों की मौजूदगी ने उनकी आर्थिक और सामाजिक ताकत को और बढ़ा दिया है। सुंदर पिचाई से लेकर सत्या नडेला तक, कई बड़ी कंपनियों के सीईओ भारतीय मूल के हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उनका महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। इन प्रतिभाशाली लोगों ने न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है, बल्कि भारतीय समुदाय की प्रतिष्ठा को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
राजनीतिक दांवपेंच और बदलता समीकरण
ट्रंप ने जो राजनीतिक दांव खेला है, वह बेहद सोच-समझकर किया गया कदम है। उन्होंने बाइडेन प्रशासन पर हिंदू हितों की अनदेखी का गंभीर आरोप लगाया है। हिंदूफोबिया और धार्मिक आधार पर हो रहे हमलों को रोकने में बाइडेन सरकार की कथित विफलता को उन्होंने एक बड़े मुद्दे के रूप में उठाया है। उनका कहना है कि बाइडेन प्रशासन में हिंदू अमेरिकियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा में कमी आई है।
दूसरी तरफ, कमला हैरिस की स्थिति दिलचस्प है। भारतीय मूल की होने के बावजूद, उनकी वामपंथी विचारधारा उन्हें हिंदू मतदाताओं से दूर कर रही है। जबकि ट्रंप की टीम में विवेक रामस्वामी की पत्नी की मौजूदगी, जो तेलुगु मूल की हैं, दक्षिण भारतीय समुदाय को आकर्षित कर रही है।
वैश्विक मंच पर हिंदू मुद्दों का उभार
अमेरिकी चुनाव में हिंदू राजनीति 2024 (US Election Hindu Politics 2024) के साथ एक नया अध्याय शुरू हुआ है। ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है। यह पहली बार है जब किसी अमेरिकी नेता ने इतनी स्पष्टता से दक्षिण एशिया में हिंदू अल्पसंख्यकों के मुद्दे को उठाया है। इस कदम ने न केवल अमेरिकी हिंदू मतदाताओं का ध्यान खींचा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस मुद्दे को महत्व दिया है।
संयुक्त राष्ट्र में पहली बार हिंदू नरसंहार पर गंभीर चर्चा हुई है। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का मुद्दा अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रमुखता से उठ रहा है। यह बदलते वैश्विक परिदृश्य का संकेत है, जहां हिंदू हितों की आवाज पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो रही है। ट्रंप ने इस मुद्दे को उठाकर न केवल हिंदू मतदाताओं का समर्थन जुटाने की कोशिश की है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक मजबूत संदेश दिया है।
धार्मिक पहचान और राजनीतिक प्रभाव
अमेरिकी राजनीति में हिंदू मतदाताओं का प्रभाव अब सिर्फ संख्या तक सीमित नहीं है। उनकी आर्थिक सफलता, शैक्षिक उपलब्धियां और सामाजिक योगदान ने उन्हें एक महत्वपूर्ण वोट बैंक बना दिया है। ट्रंप ने इस बदलते समीकरण को भांपते हुए न केवल हिंदू हितों की बात की है, बल्कि भारत के साथ मजबूत रिश्तों का भी वादा किया है। उनका कहना है कि बाइडेन प्रशासन ने भारत के साथ रिश्तों को जिस तरह से संभाला है, वह पर्याप्त नहीं था।
उनकी टीम में तेलुगु मूल की नेतृत्व की मौजूदगी दक्षिण भारतीय समुदाय को विशेष रूप से आकर्षित कर रही है। यह पहली बार है जब अमेरिकी राजनीति में दक्षिण भारतीय प्रतिनिधित्व इतना महत्वपूर्ण हो गया है। कमला हैरिस के तमिल मूल और विवेक रामस्वामी की पत्नी के तेलुगु मूल ने दक्षिण भारतीय राजनीति को भी अमेरिकी चुनाव का हिस्सा बना दिया है।
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