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टोपी उतारकर वोट मांगना पड़ा: क्या डगमगा रही है उमर अब्दुल्ला की कुर्सी?

टोपी उतारकर वोट मांगना पड़ा: क्या डगमगा रही है उमर अब्दुल्ला की कुर्सी?

उमर अब्दुल्ला की नई चाल: जम्मू-कश्मीर में चुनावी माहौल गरमा गया है। इस बार सबकी नजरें नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला पर टिकी हुई हैं। क्यों? क्योंकि उन्होंने एक साथ दो सीटों से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। आइए जानते हैं कि इस फैसले ने क्यों मचाई है हलचल और क्या कहते हैं लोग।

दो सीटों से चुनाव: क्यों?

उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल और बडगाम, दोनों विधानसभा सीटों से नामांकन भरा है। यह फैसला कई लोगों को चौंका रहा है। कुछ लोग इसे उनकी ताकत मान रहे हैं, तो कुछ कमजोरी। उमर अब्दुल्ला का कहना है कि यह नेशनल कॉन्फ्रेंस की मजबूती दिखाता है। लेकिन विरोधी इसे अलग नजरिए से देख रहे हैं।

विरोधियों का क्या कहना है?

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला पहले कहते थे कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। अब न सिर्फ लड़ रहे हैं, बल्कि दो जगह से। मुफ्ती ने यह भी कहा कि उमर अब्दुल्ला के कहने और करने में बहुत फर्क है।

बीजेपी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि उमर अब्दुल्ला को अपनी हार का डर सता रहा है। इसलिए वे दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। कुछ नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि उमर अब्दुल्ला को तीसरी सीट से भी चुनाव लड़ना चाहिए।

लोगों की क्या राय है?

बडगाम के कुछ युवाओं ने इंडिया टीवी से बात करते हुए अपनी नाराजगी जताई। उनका कहना है कि वे दूसरे जिले के व्यक्ति को अपना विधायक नहीं बनाना चाहते। कुछ युवाओं ने यह भी कहा कि उमर अब्दुल्ला हर जगह हार चुके हैं, इसलिए अब बडगाम आ गए हैं।

उमर अब्दुल्ला का जवाब

इन सभी आरोपों पर उमर अब्दुल्ला ने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की हवा चल रही है। दो सीटों से चुनाव लड़ना कमजोरी नहीं, बल्कि पार्टी की ताकत है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका मकसद बीजेपी को रोकना और जम्मू-कश्मीर को दबाने वाली ताकतों का मुकाबला करना है।

टोपी उतारकर वोट की अपील: क्यों?

गांदरबल में नामांकन भरते समय उमर अब्दुल्ला ने एक अनोखा कदम उठाया। उन्होंने अपनी टोपी उतारकर लोगों से वोट मांगा। यह दृश्य काफी भावुक था। लेकिन कुछ लोगों ने इसे भी आलोचना का निशाना बनाया। उनका कहना है कि उमर अब्दुल्ला अपनी कुर्सी बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

क्या बदल रहा है जम्मू-कश्मीर का राजनीतिक परिदृश्य?

उमर अब्दुल्ला के इस फैसले ने जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। कुछ लोगों का मानना है कि यह नेशनल कॉन्फ्रेंस की मजबूती दिखाता है। वहीं कुछ इसे पार्टी के अंदर के मतभेदों का संकेत मान रहे हैं।

इस चुनाव में कई मुद्दे सामने आ रहे हैं। स्टेटहुड की मांग, आर्टिकल 370 की वापसी, विकास के मुद्दे और सुरक्षा की स्थिति – ये सभी चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे। उमर अब्दुल्ला का दो सीटों से चुनाव लड़ना इन मुद्दों पर उनकी रणनीति को दर्शाता है।

आगे क्या?

अब देखना यह है कि उमर अब्दुल्ला की यह रणनीति कितनी कामयाब होती है। क्या वे दोनों सीटों पर जीत हासिल कर पाएंगे? या फिर यह फैसला उनके लिए उल्टा पड़ जाएगा? चुनाव नतीजे ही बताएंगे कि जम्मू-कश्मीर की जनता किसे चुनती है।

इस चुनाव का नतीजा न सिर्फ जम्मू-कश्मीर, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण होगा। यह तय करेगा कि आने वाले समय में राज्य की राजनीति किस दिशा में जाएगी। उमर अब्दुल्ला की दो सीटों से चुनाव लड़ने की रणनीति इस बड़े खेल का एक अहम हिस्सा है।

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