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सिविल सेवा के अधिकारियों पर किन नियमों के तहत होती है कार्रवाई, जानें पूजा खेडकर कैसे फंसी?

सिविल सेवा, पूजा खेडकर

सिविल सेवा के हर अधिकारी को कुछ खास नियमों का पालन करना होता है। ये नियम 1968 के ऑल इंडिया सर्विसेज (एआईएस) और 1954 के इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस प्रोबेशन के तहत आते हैं। इन नियमों का पालन न करने पर अधिकारी की नौकरी जा सकती है।

मुख्य नियम इस प्रकार हैं:

  1. ईमानदारी और कर्तव्य: हर अधिकारी को अपने काम में ईमानदार रहना चाहिए और अपना कर्तव्य पूरी लगन से निभाना चाहिए।
  2. पद का सही इस्तेमाल: कोई भी अधिकारी अपने पद का गलत फायदा नहीं उठा सकता। वह अपने या अपने परिवार के लिए अपने पद का इस्तेमाल करके कोई फायदा नहीं ले सकता।
  3. उपहार लेने के नियम: अधिकारी शादी, जन्मदिन जैसे खास मौकों पर अपने करीबी लोगों से ही उपहार ले सकते हैं। अगर उपहार 25,000 रुपये से ज्यादा का हो, तो इसकी जानकारी सरकार को देनी होती है।

2014 में कुछ और नियम जोड़े गए। इनमें शामिल हैं – ईमानदारी, खुलापन, राजनीति से दूर रहना, लोगों की मदद करना, गरीबों का साथ देना और लोगों के साथ अच्छा बर्ताव करना।

पूजा खेडकर पर लगे आरोप

आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर कई गंभीर आरोप लगे हैं:

  1. उन्होंने अपने दोस्त से महंगी ऑडी कार उपहार में ली, लेकिन इसकी जानकारी सरकार को नहीं दी।
  2. उन्होंने अपने पद का गलत इस्तेमाल करके एक रिश्तेदार को चोरी के मामले से बचाने की कोशिश की।
  3. पुणे में काम करते समय उन्होंने दूसरे अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं किया।
  4. उन्होंने मानसिक और आंखों की बीमारी के बारे में झूठ बोला ताकि सिविल सेवा परीक्षा पास कर सकें।

नए अधिकारियों के लिए नियम

सिविल सेवा में नए अधिकारियों को दो साल तक ट्रेनिंग दी जाती है। इस दौरान उन्हें सैलरी और गाड़ी चलाने का खर्च मिलता है। लेकिन उन्हें सरकारी गाड़ी, बंगला, ऑफिस, निजी स्टाफ और सुरक्षाकर्मी नहीं मिलते।

अगर कोई नया अधिकारी अपना काम ठीक से नहीं करता या अयोग्य पाया जाता है, तो सरकार उसके खिलाफ जांच करवा सकती है और उसे नौकरी से निकाल सकती है।

आरक्षण और प्रमाण पत्र

1955 से सिविल सेवा में ओबीसी लोगों को 27% आरक्षण मिलता है। 2006 से दिव्यांग लोगों को भी 3% आरक्षण मिलने लगा। अगर कोई व्यक्ति झूठा या गलत प्रमाण पत्र देकर नौकरी पाता है, तो उसकी नौकरी छीनी जा सकती है, चाहे वह कितने भी समय से काम कर रहा हो।

पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने दिव्यांगता और ओबीसी के बारे में झूठी जानकारी दी। साथ ही, पुणे में काम करते समय उन्होंने सरकारी गाड़ी, बंगला, सुरक्षाकर्मी और स्टाफ की मांग की, जो नए अधिकारियों को नहीं मिलते। इन सभी आरोपों की वजह से उनकी नौकरी खतरे में पड़ गई है।

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