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Disturbed Marriage: भारत में डिस्टर्ब मैरिज के कारण क्यों इतने ज्यादा लोग ले लेते हैं अपनी जान

Disturbed Marriage: भारत में डिस्टर्ब मैरिज के कारण क्यों इतने ज्यादा लोग ले लेते हैं अपनी जान

भारत में डिस्टर्ब मैरिज (Disturbed Marriage) एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बन गया है। हाल के मामले जैसे अतुल सुभाष का सुसाइड इस समस्या की गंभीरता को उजागर करते हैं। अतुल, जो एक सफल एआई इंजीनियर थे, ने वैवाहिक जीवन में उत्पन्न तनावों के कारण आत्महत्या जैसा कदम उठाया। इस घटना ने एक बार फिर इस विषय पर चर्चा को जरूरी बना दिया है कि कैसे वैवाहिक जीवन में असंतोष और दबाव लोगों को ऐसे घातक कदम उठाने पर मजबूर कर देते हैं।

वैवाहिक जीवन में तनाव: समस्या की गहराई

भारत में शादी एक सामाजिक और पारिवारिक बंधन के रूप में देखा जाता है। लेकिन, कई बार यह बंधन रिश्तों में घुटन पैदा करता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2016 से 2020 के बीच लगभग 37,000 लोग शादी से संबंधित समस्याओं के कारण आत्महत्या कर चुके हैं। इनमें से डिस्टर्ब मैरिज के कारण सुसाइड (Suicides due to Disturbed Marriages) का बड़ा हिस्सा है।

यहां सबसे ज्यादा मामले पुरुषों के हैं, जो सामाजिक अपेक्षाओं और आर्थिक दबाव के कारण इस हद तक तनाव में चले जाते हैं कि उन्हें सुसाइड अंतिम विकल्प नजर आता है। इसके पीछे कई प्रमुख कारण हैं, जैसे घरेलू जिम्मेदारियां, दहेज की मांग, और भावनात्मक समर्थन की कमी।

क्या बनती हैं अरेंज्ड मैरिज वजह?

भारत में अधिकांश शादियां अरेंज्ड होती हैं। इसमें पति-पत्नी के बीच भावनात्मक निकटता का अभाव देखा जाता है। महिलाएं अक्सर पारिवारिक अपेक्षाओं के दबाव में खुद को फंसा हुआ महसूस करती हैं। जब रिश्ते में समझ और संवाद की कमी हो, तो यह निराशा और घुटन का कारण बनती है। इसके अलावा तलाक से जुड़ी सामाजिक बदनामी भी एक बड़ा कारण है, जो लोगों को असंतुष्ट विवाह में बने रहने के लिए मजबूर करता है।

पुरुषों पर मानसिक दबाव का असर

हमारा समाज पुरुषों को भावनात्मक रूप से कमजोर दिखने की अनुमति नहीं देता। शादी के बाद उनसे उम्मीद की जाती है कि वे हर तरह की जिम्मेदारी निभाएंगे। जब वे इन अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाते, तो यह मानसिक तनाव को जन्म देता है। इसी के कारण पुरुष आत्महत्या की ओर ज्यादा झुकते हैं।

महिलाओं की चुनौतियां

महिलाओं के लिए आर्थिक आजादी की कमी और घरेलू हिंसा सुसाइड के प्रमुख कारण बनते हैं। भारत में ज्यादातर महिलाएं आर्थिक रूप से अपने पति पर निर्भर होती हैं। यदि उन्हें ससुराल में हिंसा या अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़े, तो उनके पास इसे सहने या सुसाइड के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।

सामाजिक अपेक्षाओं का दबाव

हमारे समाज में शादी केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का बंधन माना जाता है। इस कारण पति-पत्नी पर पारिवारिक मानदंडों का पालन करने का भारी दबाव रहता है। कई बार यह दबाव रिश्तों में तनाव को जन्म देता है।

भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव

विवाहित जीवन में तनाव (Stress in Married Life) का मुख्य कारण भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा है। जब वैवाहिक समस्याओं से जूझ रहे लोग अपनी बात खुलकर नहीं कह पाते, तो यह स्थिति असहायता में बदल जाती है। परिणामस्वरूप, उन्हें आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाना पड़ता है।

दहेज और आर्थिक दबाव का प्रभाव

दहेज की मांग ने शादी को एक आर्थिक बोझ बना दिया है। कई महिलाएं दहेज से जुड़ी हिंसा का सामना करती हैं। वहीं, पुरुषों पर शादी के बाद पूरे परिवार को आर्थिक रूप से संभालने का दबाव रहता है। यह स्थिति तनाव को और बढ़ा देती है।

सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता

भारत में वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए लोगों को संवाद और भावनात्मक समर्थन को प्राथमिकता देनी होगी। शादी को जिम्मेदारी की जगह एक साझेदारी के रूप में देखा जाना चाहिए। इससे पारिवारिक दबाव और तनाव को कम किया जा सकता है।


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