Virtual Crime: आज की डिजिटल दुनिया में एक नया और खतरनाक रुझान देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर गैंगस्टर्स और अपराधी नई पीढ़ी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। यह समस्या विशेषकर किशोरों और युवाओं के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी है।
वर्चुअल क्राइम की दुनिया में आज के नौजवान बड़ी तेजी से प्रवेश कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, वर्चुअल क्राइम (Virtual Crime) के मामलों में पिछले एक साल में नाबालिगों की भागीदारी में भारी वृद्धि देखी गई है।
सोशल मीडिया का जहरीला जाल इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर गैंगस्टर्स एक आकर्षक और चमकदार जीवन का दिखावा करते हैं। वे महंगी कारें, विदेश यात्राएं और लग्जरी लाइफस्टाइल की तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करते हैं। फॉलोअर्स बढ़ाने की लालसा में युवा इन गैंगस्टर्स को फॉलो करना शुरू कर देते हैं। धीरे-धीरे चैटिंग शुरू होती है और फिर शुरू होता है फंसाने का खेल। जामिया नगर की 14 वर्षीय लड़की का मामला इस बात का ज्वलंत उदाहरण है, जिसे एक बर्थडे पार्टी के बहाने बुलाकर गैंग के सदस्यों ने फंसाने की कोशिश की।
वर्चुअल से वास्तविक अपराध तक का सफर गैंगस्टर्स पहले छोटे-मोटे अपराधों में युवाओं को शामिल करते हैं। जैसे हथियारों के साथ रील्स बनाना, धमकी भरे संदेश भेजना या छोटी-मोटी चोरी। इसके बाद धीरे-धीरे उन्हें बड़े अपराधों में धकेल दिया जाता है। राजौरी गार्डन की 19 वर्षीय अनु धनखड़ का मामला इसका एक उदाहरण है। विदेश में बैठे गैंगस्टर हिमांशु उर्फ भाऊ ने उसे अमेरिका भेजने का लालच देकर अपराध की दुनिया में खींच लिया।
सोशल मीडिया गैंगस्टर की दुनिया (Social Media Gangster World) में एक और खतरनाक पहलू है फर्जी पहचान का। कई गैंगस्टर फर्जी प्रोफाइल बनाकर युवाओं से दोस्ती करते हैं। वे खुद को सफल बिजनेसमैन या सेलिब्रिटी मैनेजर बताते हैं। जब युवा उनके जाल में फंस जाते हैं, तब उन्हें पता चलता है कि वे किसी अपराधी के संपर्क में हैं।
नाबालिग अपराधियों का बढ़ता ग्राफ एनसीआरबी के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। दिल्ली में 2022 में 2,340 मामले दर्ज हुए जिनमें 3,002 नाबालिग पकड़े गए। इनमें से 2,448 अपराधी अपने माता-पिता के साथ रह रहे थे। 92 हत्या के मामले, 235 लूट के और 154 जानलेवा हमलों के मामले सामने आए। शिक्षा के स्तर पर देखें तो 392 युवा कभी स्कूल नहीं गए, 1,032 प्राइमरी तक पढ़े और 1,267 दसवीं तक पहुंचे।
पुलिस की कार्रवाई और चुनौतियां दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि विदेश में बैठे और जेल में बंद गैंगस्टर्स के गुर्गे सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय हैं। वे नई पीढ़ी को लुभाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। गैंगस्टर्स को पता है कि नाबालिगों के खिलाफ कानून में कड़ी कार्रवाई नहीं हो सकती और सुधार गृह से जल्द छूटने की संभावना रहती है। इसलिए वे जानबूझकर नाबालिगों का इस्तेमाल करते हैं।
इंटरनैशनल क्राइम सिंडिकेट का जाल यह समस्या सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है। पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। गैंगस्टर्स जबरन वसूली, सट्टा, फर्जी कॉल सेंटर और ड्रग्स की तस्करी जैसे अपराधों में युवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे करोड़ों रुपये हवाला के जरिए विदेश भेज रहे हैं और वहां मौज-मस्ती की जिंदगी जी रहे हैं, जबकि यहां के युवा जेल की सलाखों के पीछे अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं।