सिद्धार्थ मल्होत्रा बेचारे को ‘शेरशाह’ की सफलता का ऐसा भूत चढ़ा है कि वो अब हर फिल्म को वॉर मूवी समझने लगे हैं! करण जौहर भी उनका साथ दे रहे हैं। अब ये “योद्धा” लेकर आए हैं, जो असल में ‘शेरशाह’ का सस्ता वर्ज़न है, 90 के दशक के “कॉन्ट्रा” वीडियो गेम से इंस्पायर्ड।
मेजर सतेंद्र कटियाल (रोनित रॉय), देश के लिए लड़ते हुए शहीद हो जाते हैं। उनका बेटा अरुण (सिद्धार्थ मल्होत्रा) ठान लेता है कि पिताजी का सपना पूरा करेगा। इस बीच, सनी हिंदुजा नाम का कोई आतंकवादी अरुण को मारने के लिए कमर कस लेता है। पहले अरुण की शादी पीएम की सेक्रेटरी प्रियमवदा (राशी खन्ना) से होती है, फिर किसी मिशन में गड़बड़ होने की वजह से उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है…फिल्म में ऐसा ही उल्टा-सीधा चलता रहता है।
फिल्म के डायरेक्टर, सागर अम्ब्रे और पुष्कर ओझा शायद फिल्ममेकिंग का कोर्स करने के बाद सीधे हीरो-हिरोइन को लेकर शूटिंग पर निकल पड़े! देशभक्ति जगाने के बजाय उनकी फिल्म एक कॉमेडी लगती है, जिसमें इंडियन कमांडोज को मज़ाक बना दिया गया है। ऊपर से, DDLJ और “कुछ कुछ होता है” के पुराने डायलॉग्स सुन-सुनकर दिमाग खराब होना तय है!
दिशा पाटनी तो बस ग्लैमरस दिखने के लिए हैं, पर कम से कम हवाई जहाज में वो हड्डियां तोड़ने का काम तो ढंग से करती हैं। राशी खन्ना सिद्धार्थ के साथ बहुत बड़ी लगती हैं – कास्टिंग डायरेक्टर को क्या हो गया था? और ये सिद्धार्थ क्या चाहता है? एक्शन, हीरो वाली एंट्री, वाह-वाही वाले डायलॉग…सब कुछ इस फिल्म में है, पर फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ!
अब तो एक के बाद एक देशभक्ति वाली फिल्में आ रही हैं – “तेजस”, “आर्टिकल 370”, “फाइटर”…पहले ही इतनी आ चुकी हैं कि जनता ऊबने लगी है। ऐसे में “योद्धा” तो और भी बेकार लगती है। देखने से अच्छा है, पैसे बचाकर रखो और वापस “कॉन्ट्रा” ही खेल लो!