Water Resources Development: महाराष्ट्र में खेती-किसानी का भविष्य अब और मजबूत होने की राह पर है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने हाल ही में एक अहम फैसला लिया, जिससे सिंचाई परियोजनाओं को नई गति मिलेगी। उन्होंने 1,161 करोड़ रुपये की राशि को जल संसाधन विभाग के लिए तुरंत जारी करने का निर्देश दिया। यह राशि विभिन्न सरकारी विभागों के पास बकाया थी, और इसका उद्देश्य है कि राज्य में सिंचाई परियोजनाओं का रखरखाव और मरम्मत समय पर हो सके। इस कदम से किसानों को पानी की उपलब्धता बढ़ेगी, और उनकी फसलों को समय पर सिंचाई मिलेगी।
मुंबई के सह्याद्री गेस्ट हाउस में हुई एक बैठक में अजित पवार ने इस फैसले की घोषणा की। इस बैठक में जल संसाधन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल और कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। अजित पवार ने बताया कि कुल 7,661 करोड़ रुपये की राशि ऊर्जा, उद्योग, सहकारिता, नगर विकास, ग्राम विकास और जल आपूर्ति जैसे विभागों के पास बकाया है। इस बकाया राशि का हिस्सा, यानी 1,161 करोड़ रुपये (1,161 crore rupees), अब जल संसाधन विभाग को मिलेगा, ताकि सिंचाई परियोजनाओं में कोई देरी न हो।
इस बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्देश दिया गया। अजित पवार ने जल संसाधन विभाग और संबंधित विभागों को मिलकर 25 जून तक एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा। इस रिपोर्ट में हर विभाग के बकाया राशि, ब्याज और दंड का पूरा विवरण होगा। इस जल संसाधन विकास (Water Resources Development) के लिए उठाया गया कदम यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में फंड की कमी के कारण कोई भी परियोजना रुके नहीं।
महाराष्ट्र में सिंचाई का महत्व किसी से छिपा नहीं है। यहाँ के किसान सालों से बेहतर जल प्रबंधन की माँग करते आए हैं। कई बार फंड की कमी के कारण परियोजनाएँ अधूरी रह जाती हैं, जिसका सीधा असर किसानों की आजीविका पर पड़ता है। अजित पवार का यह निर्णय न केवल समय पर मरम्मत और रखरखाव सुनिश्चित करेगा, बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकार किसानों के हितों के लिए कितनी गंभीर है।
जल संसाधन विभाग के लिए यह राशि एक नई उम्मीद की किरण है। इससे नहरों, बाँधों और अन्य सिंचाई सुविधाओं की मरम्मत हो सकेगी। खासकर उन इलाकों में, जहाँ पानी की कमी के कारण फसलें सूख जाती हैं, वहाँ के किसानों को राहत मिलेगी। इस राशि से न केवल मौजूदा परियोजनाएँ पूरी होंगी, बल्कि भविष्य की योजनाओं के लिए भी रास्ता खुलेगा।
अजित पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस राशि को अंतिम रूप से जारी करने का फैसला मुख्यमंत्री, दोनों उपमुख्यमंत्रियों, संबंधित मंत्रियों और वित्त व योजना विभागों के साथ चर्चा के बाद लिया जाएगा। यह पारदर्शिता और सहयोग का एक उदाहरण है, जो यह दर्शाता है कि सरकार हर कदम पर जवाबदेही सुनिश्चित करना चाहती है।
25 जून तक की समय सीमा तय करना भी एक सकारात्मक कदम है। इससे न केवल बकाया राशि का हिसाब-किताब स्पष्ट होगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि भविष्य में ऐसी देरी न हो। महाराष्ट्र जैसे कृषि-प्रधान राज्य में, जहाँ लाखों लोग खेती पर निर्भर हैं, यह निर्णय एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
इस पहल से न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि यह पूरे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। जब फसलें समय पर पानी पाएँगी, तो उत्पादन बढ़ेगा, और बाजार में उपज की उपलब्धता बढ़ने से कीमतें भी नियंत्रित रहेंगी। यह एक ऐसा चक्र है, जो न केवल ग्रामीण क्षेत्रों को समृद्ध करेगा, बल्कि शहरी अर्थव्यवस्था को भी सहारा देगा।