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Chhatrapati Sambhaji Maharaj: कौन थे छत्रपति शिवाजी के बेटे संभाजी महाराज, जिन पर बनी फिल्म ‘छावा’, जिन्हें लड़कर लेनी पड़ी पिता की गद्दी

Chhatrapati Sambhaji Maharaj: कौन थे छत्रपति शिवाजी के बेटे संभाजी महाराज, जिन पर बनी फिल्म 'छावा', जिन्हें लड़कर लेनी पड़ी पिता की गद्दी

Chhatrapati Sambhaji Maharaj (छत्रपति संभाजी महाराज) भारतीय इतिहास के सबसे वीर योद्धाओं में से एक थे। वह केवल एक महान योद्धा ही नहीं, बल्कि एक कुशल प्रशासक और विद्वान भी थे। उनके जीवन पर आधारित बॉलीवुड फिल्म “छावा” (Chhava) फरवरी में रिलीज़ होने वाली है, जिसमें विक्की कौशल और रश्मिका मंदाना मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म उनकी संघर्षशील और बलिदानपूर्ण यात्रा को दिखाएगी। लेकिन आखिर छत्रपति संभाजी महाराज (Chhatrapati Sambhaji Maharaj) कौन थे और उन्हें इतिहास में इतनी महत्वपूर्ण जगह क्यों मिली?

संभाजी महाराज का जन्म और प्रारंभिक जीवन

संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को महाराष्ट्र के पुरंदर किले (Purandar Fort) में हुआ था। उनकी माता सईबाई (Saibai), शिवाजी महाराज की पहली और मुख्य पत्नी थीं। बचपन से ही संभाजी का झुकाव युद्ध और राजनीति की ओर था। वे एक उत्कृष्ट योद्धा, रणनीतिकार और कई भाषाओं के ज्ञाता थे। संस्कृत, मराठी और फारसी में उनकी गहरी पकड़ थी, और उन्होंने कई महत्वपूर्ण ग्रंथ भी लिखे।

संभाजी को सत्ता के लिए संघर्ष क्यों करना पड़ा?

शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद, मराठा साम्राज्य में सत्ता को लेकर संघर्ष शुरू हो गया। उनके सौतेले भाई राजाराम (Rajaram) को गद्दी सौंपने की कोशिश की गई, लेकिन 1681 में संभाजी महाराज (Sambhaji Maharaj) ने सत्ता अपने हाथों में ले ली। सत्ता में आते ही उन्होंने मुगलों (Mughals), पुर्तगालियों (Portuguese) और अंग्रेजों (British) के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।

Chhatrapati Sambhaji Maharaj: संभाजी महाराज की वीरता और युद्ध कौशल

संभाजी महाराज ने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण किलों की रक्षा की और मराठा नौसेना (Maratha Navy) को और अधिक मजबूत किया। उन्होंने दक्षिण भारत में मुगलों की बढ़ती शक्ति को रोकने के लिए मुगल सम्राट औरंगजेब (Mughal Emperor Aurangzeb) के खिलाफ प्रतिरोध किया। उनकी युद्ध रणनीति ने मुगल सेना (Mughal Army) को कई बार हार का स्वाद चखाया।

संभाजी महाराज की क्रूर हत्या: जब औरंगजेब भी डर गया

संभाजी महाराज का सबसे बड़ा संघर्ष मुगल बादशाह औरंगजेब (Mughal Emperor Aurangzeb) से था। उन्होंने कई वर्षों तक मुगलों के विस्तार को रोका और लगातार युद्ध किए। लेकिन 1689 में जब वे संगमेश्वर (Sangameshwar) में थे, तब एक गद्दार गणोजी शिर्के (Ganoji Shirke) की मदद से मुगलों ने उन्हें पकड़ लिया।

औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने (Conversion to Islam) का आदेश दिया, लेकिन संभाजी महाराज (Sambhaji Maharaj) ने इसे ठुकरा दिया। इसके बाद उन्हें लगभग 40 दिनों तक भयानक यातनाएं (Severe Torture) दी गईं और फिर 11 मार्च 1689 को उनकी क्रूर हत्या कर दी गई।

संभाजी महाराज के योगदान और विरासत

संभाजी महाराज केवल एक योद्धा नहीं थे, बल्कि एक महान लेखक भी थे। उन्होंने “बुद्धभूषणम” (Buddhabhushanam) नामक संस्कृत ग्रंथ लिखा, जिसमें राजनीति और सैन्य रणनीति पर विचार किए गए। इसके अलावा, उन्होंने “नायिकाभेद” (Nayikabheda), “सातशतक” (Saatshatak) और “नखशिख” (Nakhasikha) जैसी किताबें भी लिखीं।

उनकी वीरता और बलिदान की कहानी अमर है। जब औरंगजेब (Aurangzeb) ने उन्हें यातनाएं देकर मार डाला, तब पूरे मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) में आक्रोश फैल गया। संभाजी महाराज की शहादत ने मराठाओं को और अधिक संगठित किया और यह बलिदान मुगलों के खिलाफ सबसे बड़े प्रतिशोध (Greatest Revenge Against Mughals) में बदल गया।

संभाजी महाराज पर बनी फिल्म “छावा” (Chhava) और विवाद

संभाजी महाराज के जीवन पर बनी फिल्म “छावा” (Chhava) फरवरी में रिलीज़ हो रही है। यह फिल्म उनकी वीरता, संघर्ष और बलिदान की कहानी को पर्दे पर लेकर आएगी। हालांकि, फिल्म को लेकर विवाद भी हो रहे हैं। एक “लेज़िम डांस” (Lezim Dance) सीन को लेकर मराठा समाज ने आपत्ति जताई है और इसे हटाने की मांग की गई है। उनका मानना है कि छत्रपति संभाजी महाराज (Chhatrapati Sambhaji Maharaj) को इस तरह नाचते हुए दिखाना उनके सम्मान के खिलाफ है।

संभाजी महाराज की कहानी केवल मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के गौरवशाली इतिहास (Glorious History of India) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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