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एक कप चाय से सस्ता सफर, लेकिन क्यों खत्म हो रहा है कोलकाता की Tram का सफर?

एक कप चाय से सस्ता सफर, लेकिन क्यों खत्म हो रहा है कोलकाता की Tram का सफर?

कोलकाता की लाइफलाइन, ट्राम, जो कभी इस शहर की धड़कन हुआ करती थी, अब अपने आखिरी पड़ाव पर है। 1873 से लेकर अब तक, ट्राम (Tram) सिर्फ एक साधन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर रही है, जो कोलकाता की पहचान बन चुकी है। आज की मेट्रो और बसों की भीड़ में यह ‘स्लो एंड साइलेंट’ सफर अब अतीत बनने जा रहा है। पर सवाल यह है कि क्यों और कैसे 151 साल का यह सुनहरा सफर अपने अंतिम दौर में पहुंच गया?

ट्राम (Tram) का जन्म और विकास

कोलकाता में ट्राम सर्विस की शुरुआत 1873 में ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी। पहले इसे घोड़ों से खींचा जाता था, लेकिन समय के साथ इसमें कई तकनीकी बदलाव हुए। 1900 के दशक में ट्राम (Tram) स्टीम से चलने लगी, और आज यह इलेक्ट्रिक ट्राम के रूप में देखी जाती है। शहर की सड़कों पर जब ट्राम गुजरती थी, तो लोग ब्रिटिश जमाने की पुरानी यादें ताजा करने के लिए रुककर इसे देखा करते थे।

धीमी पर सुरक्षित सवारी

ट्राम (Tram) की सबसे खास बात इसकी धीमी और सुरक्षित गति है। यह 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है, जो कारों और अन्य वाहनों के मुकाबले काफी कम है। हालांकि, इसकी धीमी गति ट्राम के खिलाफ सबसे बड़ी दलील बन चुकी है, क्योंकि आज के समय में हर कोई तेजी से अपनी मंजिल तक पहुंचना चाहता है। पर ट्राम का एक और पहलू है जो इसे खास बनाता है- यह न तो प्रदूषण फैलाती है, न शोर मचाती है, यानी यह पूरी तरह ईको-फ्रेंडली है।

सिमटता हुआ ट्राम का जाल

1960 के दशक में कोलकाता में ट्राम की 37 लाइनें थीं, लेकिन आज के समय में यह सिर्फ 2 रूट्स पर ही सीमित रह गई है। वर्तमान में धर्मतल्ला से श्यामबाजार और धर्मतल्ला से बालीगंज के बीच ट्राम (Tram) चलती है। पर अब इन रूट्स पर भी इसका संचालन बंद करने का निर्णय लिया गया है। इसका मुख्य कारण ट्रैफिक जाम की समस्या और सड़कों पर बढ़ती भीड़ है, जिसके चलते धीमी गति वाली ट्राम को अड़चन के रूप में देखा जा रहा है।

सस्ती पर सर्विस में कमजोर

कोलकाता की ट्राम सेवा हमेशा से सस्ती रही है। महंगाई के इस दौर में भी ट्राम का किराया केवल 7 रुपये है, जो एक कप चाय के दाम से भी कम है। लेकिन सस्ती सर्विस देने के बावजूद इसकी देखरेख में कमी आई है। ट्राम की कई गाड़ियां आज लावारिस हालत में खड़ी हैं, जिनमें से कुछ तो 1940 के दशक की हैं। ट्राम (Tram) का मेंटेनेंस एक बड़ी चुनौती बन चुका है, और यही वजह है कि इसे बंद करने की तैयारी चल रही है।

क्या ट्राम हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी?

ट्राम पूरी तरह बंद नहीं होगी, बल्कि अब इसे हेरिटेज राइड के रूप में चलाने की योजना है। धर्मतल्ला (एस्प्लेनेड) से मैदान के बीच में ट्राम चलती रहेगी, ताकि पर्यटक और ट्राम के प्रेमी इसका आनंद ले सकें। यह एक तरह से कोलकाता की विरासत को सहेजने की कोशिश है, पर रोजमर्रा के यात्री अब इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा नहीं बना पाएंगे।

ट्राम ट्रैक्स का क्या होगा?

जिन सड़कों पर ट्राम की पटरियां बिछी हैं, उन सभी को अब उखाड़ दिया जाएगा। इसका कारण यह है कि इन पुरानी पटरियों की वजह से छोटी गाड़ियों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा रहता है।

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