World Mental Health Day 2025: हर साल 10 अक्टूबर को पूरी दुनिया World Mental Health Day मनाती है। इसका मकसद सिर्फ इतना है कि, लोग समझें कि मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) भी उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health)। हम अक्सर सिरदर्द, बुखार या हार्ट की परेशानी को तुरंत गंभीरता से लेते हैं, लेकिन मन के दर्द को अनदेखा कर देते हैं। यही लापरवाही आगे चलकर डिप्रेशन, एंग्जायटी, पैनिक अटैक या आत्महत्या जैसे खतरनाक रूप ले सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में हर 8 में से 1 व्यक्ति मानसिक बीमारी से जूझ रहा है। ऐसे में जरूरत है लक्षणों को पहचानने की, ताकि वक्त रहते इलाज शुरू किया जा सके। आइए जानते हैं, मानसिक परेशानी के 7 शुरुआती संकेत, जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए –
मूड लंबे समय तक खराब रहना
अगर बिना किसी बड़े कारण के लगातार कई दिनों तक उदासी, खालीपन या निराशा महसूस हो रही है, तो ये डिप्रेशन का शुरुआती संकेत हो सकता है। सिर्फ किसी एक घटना की वजह से नहीं, बल्कि जब हर चीज़ बेकार लगने लगे तब ये चेतावनी का समय है।
हर बात पर घबराहट और डर महसूस होना
अगर छोटी-छोटी बातों पर दिल तेजी से धड़कने लगे, बेचैनी बनी रहे या डर की भावना दिनभर पीछा करे, तो ये Anxiety Disorder का लक्षण हो सकता है। National Alliance on Mental Illness (NAMI) के अनुसार, ये स्थिति धीरे-धीरे व्यक्ति की दिनचर्या को पूरी तरह प्रभावित कर देती है।
नींद और भूख में अचानक बदलाव
American Psychiatric Association (APA) के मुताबिक, मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं में स्लीप साइकिल और खाने की आदतें सबसे पहले प्रभावित होती हैं। कभी बहुत ज्यादा नींद आना या बिल्कुल न आना, अचानक भूख कम या ज़्यादा लगना, ये सब संकेत हैं कि मन असंतुलित है।
लोगों से दूरी बनाना
Healthdirect Australia की रिपोर्ट बताती है कि मानसिक तनाव में व्यक्ति दोस्तों, परिवार और सामाजिक दायरे से खुद को अलग करने लगता है। अगर आपको अचानक अकेले रहना ज्यादा अच्छा लगने लगे और दूसरों से मिलना बोझ लगे, तो ये मन के भीतर चल रही जंग का इशारा है।
ध्यान और याददाश्त की कमजोरी
बार-बार भूलना, ध्यान केंद्रित न कर पाना या निर्णय लेने में कठिनाई महसूस होना, मेंटल प्रॉब्लम्स का आम संकेत है। APA की रिपोर्ट कहती है कि ये मानसिक थकान और दिमागी तनाव का परिणाम होता है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ना
अचानक बात-बात पर गुस्सा आना या मूड स्विंग्स महसूस होना, मानसिक असंतुलन का मजबूत संकेत हो सकता है। रिसर्च बताती हैं कि लंबे समय तक गुस्से में रहना तनाव, नींद की कमी और डिप्रेशन से सीधा जुड़ा होता है।
खुद को नुकसान पहुंचाने या मरने के विचार
ये मानसिक समस्या का सबसे गंभीर और खतरनाक चरण होता है। Mayo Clinic की रिपोर्ट के मुताबिक, जब व्यक्ति को “जीने का कोई मतलब नहीं” या “मैं किसी काम का नहीं” जैसे विचार बार-बार आने लगें, तो ये रेड अलर्ट है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर या काउंसलर से मदद लेनी चाहिए, बिना देर किए।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है खुलकर बात करना
विशेषज्ञों का मानना है कि मानसिक समस्याएं छिपाने से नहीं, बात करने से हल होती हैं।
अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति लगातार उदास या तनाव में दिखे, तो उससे बात करें, उसका साथ दें। एक समझदार बातचीत कई बार जिंदगी बचा सकती है।
World Mental Health Day हमें याद दिलाता है कि “मन की सेहत ही असली सेहत है।” अगर हम अपने मन को समझना सीख जाएं, तो शरीर खुद ठीक रहने लगता है। तो अगली बार जब मन बार-बार थका, टूटा या उदास महसूस हो, तो इसे इग्नोर न करें, समझें कि आपका माइंड हेल्प मांग रहा है।
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