कभी राष्ट्रमंडल खेलों में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले और कभी डोपिंग विवादों में नाम आने वाले पहलवान नरसिंह यादव एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार नरसिंह यादव को भारतीय कुश्ती महासंघ के एथलीट आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। यह पद उन्हें पहलवानों के भरोसे और आपसी सहमति से मिला है।
नरसिंह यादव के लिए कुश्ती का मैदान किसी जंग से कम नहीं रहा है। 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने 74 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया था। यह उनके करियर की बुलंदी थी। मगर, इसके कुछ सालों बाद उनका नाम डोपिंग विवाद में फंस गया, जिसके चलते उन पर प्रतिबंध भी लगा। इस विवाद ने उनके करियर को बड़ा झटका दिया था।
हालांकि, अब नरसिंह यादव के लिए एक नया अध्याय शुरू हो रहा है। भारतीय कुश्ती महासंघ के एथलीट आयोग के अध्यक्ष बनकर वह खेल जगत में फिर से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस आयोग का उद्देश्य पहलवानों के अधिकारों की रक्षा करना और उनकी बातों को प्रशासन तक पहुंचाना है। इसमें नरसिंह यादव के साथ छह अन्य पहलवान भी बतौर सदस्य शामिल हैं।
नरसिंह यादव का अध्यक्ष बनना भारतीय कुश्ती के लिए एक अहम मोड़ हो सकता है। हाल के कुछ सालों में भारतीय कुश्ती महासंघ लगातार विवादों से घिरा रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि नरसिंह यादव की अध्यक्षता में आयोग कुश्ती में सुधार लाएगा और पहलवानों को उनका हक दिलाएगा।
विश्व कुश्ती महासंघ (UWW) ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) पर लगा प्रतिबंध एथलीट आयोग के गठन की शर्त पर ही हटाया था। अब, जब यह आयोग बन गया है और नरसिंह यादव जैसे अनुभवी पहलवान की अगुवाई में काम करेगा, तो निश्चित तौर पर भारतीय कुश्ती की तस्वीर बदल सकती है।
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