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महाराष्ट्र में युवा किसान अवार्ड विजेता ने की खुदकुशी, सुसाइड नोट में बताई हैरान करने वाली वजह

महाराष्ट्र
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महाराष्ट्र के बुल्ढाना जिले में पानी की किल्लत से परेशान एक किसान ने आत्महत्या कर ली। ये घटना पूरे इलाके को स्तब्ध कर देने वाली है, क्योंकि इस किसान को राज्य सरकार द्वारा उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया था। मृतक किसान की पहचान कैलाश अर्जुन नागरे के रूप में हुई है, जिसने जहर खा लिया था। गुरुवार सुबह उसका शव खेत से बरामद किया गया।

सुसाइड नोट में जल संकट का जिक्र
कैलाश के पास से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उसने पानी की समस्या का उल्लेख किया है। उसने लिखा कि जल संकट के कारण किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और इसी कारण उसने आत्महत्या करने का फैसला किया। अपने पत्र में उसने ये भी जिक्र किया कि पिछले महीने उसने गांव में जल आपूर्ति की समस्या को लेकर पांच दिनों तक अनशन किया था, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।

2020 में मिला था युवा किसान अवार्ड
कैलाश नागरे को महाराष्ट्र सरकार ने 2020 में ‘युवा किसान अवार्ड’ से सम्मानित किया था। उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं। उनकी मौत से पूरे गांव में शोक की लहर है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि किसानों को कारकपुर्णा तालाब की नहर से जल्द से जल्द पानी की आपूर्ति की जाए। उनकी मांग पूरी होने तक ग्रामीण शव उठाने को तैयार नहीं थे।

महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े
महाराष्ट्र राज्य राहत एवं पुनर्वास विभाग के हालिया आंकड़ों के अनुसार, 2024 में अब तक राज्य में 2635 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। खासकर मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्रों में जल संकट के कारण किसानों की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है।

शरद पवार ने उठाया किसानों का मुद्दा
एनसीपी-एसपी प्रमुख शरद पवार ने इस मामले को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, खासकर मराठवाड़ा और विदर्भ में स्थिति बहुत खराब है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि किसानों की मदद के लिए तत्काल प्रभावी नीति लाई जाए, ताकि उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जा सके।

सरकार से समाधान की उम्मीद
कैलाश नागरे की आत्महत्या ने सरकार और प्रशासन के प्रति गहरी नाराजगी को जन्म दिया है। स्थानीय लोग सरकार से इस जल संकट का स्थायी हल निकालने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में अब ये देखना होगा कि सरकार इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाती है और किसानों की परेशानियों को कम करने के लिए किस तरह की योजनाएं लागू करती है।

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