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1984 सिख हत्याकांड: 40 साल बाद न्याय की उम्मीद, टाइटलर के खिलाफ कोर्ट ने दिए आरोप तय करने के आदेश

1984 सिख हत्याकांड: 40 साल बाद न्याय की उम्मीद, टाइटलर के खिलाफ कोर्ट ने दिए आरोप तय करने के आदेश

1984 के सिख विरोधी दंगों के एक बड़े मामले में, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने का निर्देश दिया है। यह मामला 1984 में गुरुद्वारा पुल बंगश के पास तीन सिखों की हत्या और धार्मिक स्थल में आगजनी से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने कहा है कि टाइटलर के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और उनके खिलाफ 302 के साथ अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं। इस फैसले से सिख समुदाय में न्याय की उम्मीद फिर से जगी है।

पूरा मामला:

1984 के सिख विरोधी दंगों के समय, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में हिंसा फैली थी। दिल्ली में, गुरुद्वारा पुल बंगश के पास तीन सिखों की हत्या और धार्मिक स्थल में आग लगाने की घटना हुई थी। इस मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर का नाम सामने आया, जिन्हें दंगों का नेतृत्व करने का आरोप लगा। पीड़ितों के वकील एचएस फुल्का के अनुसार, टाइटलर ने भीड़ को उकसाया और उनकी अगुवाई में यह जघन्य अपराध हुआ।

कोर्ट का फैसला और सिख समुदाय की प्रतिक्रिया:

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं, जिनमें 302 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 143, 153ए, 188, 149 आदि शामिल हैं।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने इस फैसले का स्वागत किया और इसे सिख समुदाय के लिए बड़ी राहत करार दिया। कालका ने कहा कि सिख समुदाय ने इस लड़ाई को 40 साल तक लड़ा और आज उन्हें न्याय की उम्मीद मिली है।

जांच और न्याय की लंबी लड़ाई:

यह मामला शुरू से ही राजनीतिक दबाव और धनबल के कारण ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। हालांकि, 2005 में नानावती आयोग की रिपोर्ट के बाद टाइटलर पर मामला दर्ज हुआ। सीबीआई ने 2007 में जल्दबाजी में क्लोज रिपोर्ट दाखिल की, लेकिन पीड़ितों की लड़ाई और वकील एचएस फुल्का की दलीलों ने इस मामले को फिर से जिंदा कर दिया। अब जब कोर्ट ने आरोप तय कर दिए हैं, तो उम्मीद है कि टाइटलर को जल्द ही जेल भेजा जाएगा।

1984 के सिख विरोधी दंगे भारतीय इतिहास का एक काला अध्याय हैं। जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय होने से सिख समुदाय में न्याय की उम्मीद फिर से जगी है। कोर्ट का यह फैसला भारतीय न्याय प्रणाली की ताकत को दर्शाता है, और यह उम्मीद की जा सकती है कि दोषियों को उनके कर्मों की सजा मिलेगी।


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