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कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ: ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ की यादें ताजा

कारगिल युद्ध
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पाकिस्तान के खिलाफ हुए कारगिल युद्ध को पूरे 25 साल हो चुके हैं। ऐसे में भारतीय वायुसेना ने उस युद्ध को याद किया। इस उपलक्ष्य में भारतीय सेना ने ‘हार्ट टू ब्रेवहार्ट्स’ नामक कार रैली भी निकाली। इस युद्ध में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीरों के सम्मान में रक्षा मंत्रालय ने 12 से 26 जुलाई तक वायुसेना स्टेशन सरसावा में ‘कारगिल विजय दिवस रजत जयंती’ मनाने का फैसला किया है। जानकारी हो कि साल 1999 में भारत ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में लड़ी गई इस लड़ाई में पाकिस्तान को हराया था।

कारगिल युद्ध की यादें
1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई में थलसेना की मदद के लिए हजारों लड़ाकू मिशन और हेलीकाप्टर उड़ानों को अंजाम दिया था।

‘कारगिल विजय दिवस रजत जयंती’
वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने शनिवार को वायुसेना स्टेशन स्थित युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने बलिदान देने वाले वीरों के परिजनों को सम्मानित किया और उनसे बातचीत की। इस दौरान एक शानदार एयर शो का आयोजन भी किया गया जिसमें आकाश गंगा टीम, जगुआर, एसयू-30 एमकेए, राफेल लड़ाकू विमानों ने भाग लिया। शहीद नायकों की स्मृति में एमआइ-17वी5 हेलीकाप्टर ने मिसिंग मैन फार्मेशन उड़ान भरी। चीता और चिनूक जैसे हेलीकाप्टरों ने भी प्रदर्शन किया।

वीरता और बलिदान
इस कार्यक्रम में सहारनपुर क्षेत्र के स्थानीय निवासी, भूतपूर्व सैनिक, गणमान्य नागरिक और रुड़की, देहरादून तथा अंबाला स्थित रक्षा प्रतिष्ठानों के कर्मी शामिल थे। भारतीय वायुसेना के पास अपने वीर योद्धाओं के साहस और बलिदान की गौरवपूर्ण विरासत है जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में वीरता से लड़ाई लड़ी थी। ये मिलेट्री एविएशन के इतिहास में एक मील का पत्थर था।

ऑपरेशन सफेद सागर
कारगिल युद्ध में ऑपरेशन सफेद सागर 16 हजार फुट से अधिक की ऊंचाइयों पर लड़ाई का प्रमाण है। वायुसेना ने उस समय लगभग पांच हजार लड़ाकू मिशन, 350 टोही/ईएलआइएनटी मिशन और लगभग 800 एस्कार्ट उड़ानें भरीं। भारतीय वायुसेना ने घायलों को सुरक्षित निकालने और हवाई परिवहन कार्यों के लिए दो हजार से अधिक हेलीकाप्टर उड़ानें भी भरीं।

ऑपरेशन सफेद सागर की कहानी
वायुसेना स्टेशन सरसावा की 152 हेलीकाप्टर यूनिट ‘द माइटी आर्मर’ ने ऑपरेशन सफेद सागर के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 28 मई 1999 को 152 एचयू के स्क्वाड्रन लीडर आर पुंडीर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मुहिलान, सार्जेंट पीवीएनआर प्रसाद और सार्जेंट आरके साहू को तोलोलिंग में दुश्मन के ठिकानों पर सीधा हमला करने के लिए नुबरा फार्मेशन के रूप में उड़ान भरने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस हवाई हमले को सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद उनके हेलीकाप्टर को दुश्मन की स्टिंगर मिसाइल ने निशाना बनाया जिसमें चार वीर सैनिकों ने प्राणों का बलिदान दिया। असाधारण साहस के इस कार्य के लिए उन्हें मरणोपरांत वायुसेना वीरता पदक से सम्मानित किया गया।

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