भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अब आवास ऋण पर टॉप-अप लोन पर कड़ी नजर रख रहा है। बैंकिंग नियामक को डर है कि वित्तीय संस्थानों के बढ़ते उत्साह से ग्राहक ऐसे ऋण तो ले लेंगे, लेकिन बाद में चुकाने की हालत में नहीं होंगे। इससे पूरी वित्तीय व्यवस्था के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है।
आवास ऋण टॉप-अप लोन पिछले दो दशकों में काफ़ी चलन में आए हैं। ये अतिरिक्त ऋण उन ग्राहकों को दिए जाते हैं जो अपने आवास ऋण की किश्तें नियमित रूप से चुका रहे होते हैं।
RBI चिंतित है क्योंकि कई ग्राहक घर की सजावट या सुधार के अलावा टॉप-अप लोन का इस्तेमाल दूसरे कामों के लिए कर रहे हैं, जैसे छुट्टियां मनाना, शिक्षा या स्वास्थ्य खर्च के लिए। नियामक को यह भी डर है कि कुछ ग्राहक शेयर बाजार में निवेश या दूसरे ऋणों के भुगतान के लिए भी टॉप-अप लोन ले सकते हैं। RBI इस चलन को हतोत्साहित करने के लिए व्यक्तिगत ऋण पर पूंजी आवश्यकताओं को बढ़ा चुका है।
RBI का यह कदम उन लोगों को प्रभावित कर सकता है जो घर के ऋण पर टॉप-अप लोन लेने का सोच रहे हैं। बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ऐसे ऋण देने से पहले ग्राहकों की पुनर्भुगतान क्षमता का और भी ध्यान से मूल्यांकन करने की आवश्यकता होगी।
भारतीय वित्तीय प्रणाली में मार्च 2024 तक आवास ऋण लगभग ₹35 लाख करोड़ के थे। अलग-अलग ऋणदाता टॉप-अप लोन को अलग-अलग तरीके से परिभाषित करते हैं, जिससे इस प्रकार के ऋणों की वास्तविक संख्या का पता लगाना मुश्किल है। RBI ने अभी तक टॉप-अप लोन पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन उन पर नज़र रख रहा है।