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दवा के साइड इफेक्ट बताना डॉक्टर की नहीं, आपकी जिम्मेदारी! हाई कोर्ट का फैसला

दवा के साइड इफेक्ट
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दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि डॉक्टरों को दवा के साइड इफेक्ट बताना अनिवार्य नहीं है। ये जिम्मेदारी दवा बनाने वाली कंपनी और फार्मासिस्ट की है।

दरअसल, एक जनहित याचिका दायर कर मांग की गई थी कि डॉक्टरों को दवा लिखते समय उसके सभी संभावित साइड इफेक्ट्स के बारे में मरीज को बताना अनिवार्य किया जाए। याचिकाकर्ता का तर्क था कि मरीज को दवा के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए ताकि वे सही फैसला ले सकें।

हाई कोर्ट ने क्या कहा?
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि दवा के साइड इफेक्ट के बारे में जानकारी देना दवा कंपनी और फार्मासिस्ट की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने कहा कि कानून में पहले से ही इस बारे में प्रावधान मौजूद हैं।

कानून में क्या प्रावधान हैं?
दवा और कॉस्मेटिक एक्ट के तहत दवा कंपनी को दवा के साथ एक पैकेज इंसर्ट देना होता है, जिसमें दवा के साइड इफेक्ट्स के बारे में जानकारी होती है। इसके अलावा, फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशंस के तहत फार्मासिस्ट की भी जिम्मेदारी है कि वे मरीज को दवा के संभावित दुष्प्रभावों के बारे में बताएं।

हाई कोर्ट के इस फैसले से कई लोगों को हैरानी हो सकती है। लेकिन, अगर हम कानून को देखें तो ये फैसला सही है। ये फैसला डॉक्टरों को एक तरह से राहत भी देता है, क्योंकि अब उन्हें हर बार दवा लिखते समय उसके सभी साइड इफेक्ट्स के बारे में बताने की जरूरत नहीं होगी।

याचिकाकर्ता का ये भी तर्क था कि डॉक्टर द्वारा दी गई जानकारी ज्यादा भरोसेमंद होती है। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना।

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