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हाईकोर्ट का सख्त फैसला: PFI ने 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश रची

हाईकोर्ट का सख्त फैसला: PFI ने 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश रची

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के तीन कथित सदस्यों की जमान याचिका खारिज कर दी है. अदालत का कहना है कि ये लोग भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश में शामिल थे. कोर्ट ने जमान याचिका खारिज करते वक्त मजबूत सबूतों का हवाला दिया है.

“विजन-2047” दस्तावेज का खुलासा (Vision-2047 Document Exposed)

अदालत ने तीनों आरोपियों – रज़ी अहमद खान (30), कय्यूम अब्दुल शेख (50) और उनेस उमर ख़य्याम पटेल (32) – की जमान याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने माना कि इनकी भूमिका आपस में जुड़ी हुई थी और ये भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए एक “खतरनाक साजिश” का हिस्सा थे. जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस श्याम चंद्रक की खंडपीठ ने कहा कि “दस्तावेजों और गवाहों के बयानों से पता चलता है कि ये लोग ‘विजन-2047’ दस्तावेज को अंजाम देने के लिए एक बड़ी साजिश में शामिल थे.”

दस्तावेज में भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की बात (Document Mentions Making India an Islamic Nation)

विजन-2047 नाम का ये दस्तावेज उर्दू भाषा में लिखा गया है. कोर्ट के मुताबिक, इस दस्तावेज से पता चलता है कि PFI और उसके सदस्यों का मकसद भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाना था. हाईकोर्ट ने इस साजिश को “गुप्त डिजाइन” करार दिया है.

अदालत का सख्त रुख (Court’s Strict Stance)

हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि रिकॉर्ड में मौजूद “बहुत पर्याप्त सामग्री” ये साबित करती है कि ये आरोपी लोगों को उकसाते थे कि वो सरकार को डराने के लिए उनका साथ दें. साथ ही, ये लोग 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश भी रच रहे थे. कोर्ट ने कहा कि ये लोग सिर्फ प्रचारक नहीं थे बल्कि वो सक्रिय रूप से अपने संगठन के विजन-2047 दस्तावेज को लागू करना चाहते थे.

सबूतों के आधार पर जमान खारिज (Bail Rejected Based on Evidence)

अदालत ने ये भी माना है कि 20 से ज्यादा गवाहों के बयान, संगठन के सदस्यों के बीच बातचीत और इलेक्ट्रॉनिक सबूत ये दिखाते हैं कि ये आरोपी, दूसरे संदिग्धों के साथ मिलकर, ऐसे कामों में लिप्त थे जो देश के हितों और अखंडता के लिए खतरनाक हैं.

हालांकि अभी तक कोई हिंसक गतिविधि सामने नहीं आई है, लेकिन अदालत का कहना है कि रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री भारतीय दंड संहिता की धारा 121 के तहत अपराध करने की साजिश का प्रथमदृष्ट्या सबूत तो देती ही है. ये धारा उस व्यक्ति के खिलाफ है जो भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ता है, या युद्ध छेड़ने का प्रयास करता है, या युद्ध छेड़ने में सहायता करता है.

गौरतलब है कि भारत सरकार ने 28 सितंबर 2022 को PFI को बैन कर दिया था.

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