महाराष्ट्र

चुनावी हार के बाद एनसीपी संकट में: महायुति में दरकिनार किए जाने का खतरा बढ़ा

चुनावी हार के बाद एनसीपी संकट में: महायुति में दरकिनार किए जाने का खतरा बढ़ा

चुनावी हार के बाद एनसीपी संकट में? महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक बड़ा बदलाव दिख रहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी, जो महायुति सरकार का हिस्सा है, उसकी स्थिति कमजोर होती जा रही है। ऐसा लग रहा है जैसे उसे किनारे कर दिया जाएगा। आइए समझते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है और इसका क्या मतलब हो सकता है।

चुनावी हार का असर:

लोकसभा चुनावों में एनसीपी को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद से पार्टी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। जब एनसीपी की सुनेत्रा पवार को राज्यसभा के लिए टिकट दिया गया, तब भाजपा और शिवसेना ने उनके नामांकन में हिस्सा नहीं लिया। यह संकेत था कि कुछ ठीक नहीं है।

अजित पवार की मुश्किलें:

एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार भी मुश्किल में हैं। उन्होंने एक महत्वपूर्ण बैठक में जाने से मना कर दिया, जहां आने वाले बजट सत्र की योजना बननी थी। ऐसा लगता है कि वे नाराज हैं। आरएसएस ने भी उन पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि भाजपा की हार की वजह अजित पवार के साथ मिलकर काम करना है।

पार्टी में बढ़ता असंतोष:

एनसीपी के अंदर भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। कुछ लोगों को लगता है कि सुनेत्रा पवार को राज्यसभा भेजना गलत फैसला था क्योंकि वे लोकसभा चुनाव हार गई थीं। पार्टी के कुछ बड़े नेताओं की चुप्पी ने भी हालात बिगाड़े हैं।

सहयोगियों का रुख:

भाजपा और शिवसेना की ओर से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि वे एनसीपी को अब उतना महत्व नहीं दे रहे। कुछ लोगों का मानना है कि भाजपा अजित पवार का इस्तेमाल करके अब उन्हें छोड़ना चाहती है।

आगे क्या?

जल्द ही महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। उससे पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होने की उम्मीद है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इसमें एनसीपी की क्या भूमिका होती है।

इस पूरी स्थिति से एक बात साफ है कि महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। एनसीपी के लिए यह वक्त चुनौतीपूर्ण है। उसे अपने सहयोगियों का भरोसा जीतना होगा और अपने अंदर की समस्याओं को भी सुलझाना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उसकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

यह सिर्फ एक पार्टी की कहानी नहीं है। इससे पूरे महाराष्ट्र की राजनीति प्रभावित हो सकती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि महायुति सरकार किस दिशा में जाती है और एनसीपी अपनी जगह कैसे बचाती है।

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