एमपॉक्स (मंकीपॉक्स) एक बार फिर दुनिया भर में चिंता का विषय बन गया है। WHO द्वारा इसे आपातकाल घोषित किए जाने के बाद, भारत भी अलर्ट पर है। इस लेख में हम एमपॉक्स के बारे में जानेंगे, इसके लक्षण समझेंगे, और भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर नजर डालेंगे।
एमपॉक्स: एक नया खतरा उभर रहा है
एमपॉक्स, जिसे मंकीपॉक्स भी कहा जाता है, एक बार फिर दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। यह एक ऐसी बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है। इसके लक्षण छोटी माता (चिकनपॉक्स) जैसे होते हैं, लेकिन इतने खतरनाक नहीं होते। फिर भी, इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
एमपॉक्स का इतिहास और वर्तमान स्थिति
एमपॉक्स पहली बार 1958 में देखा गया था। तब यह बीमारी बंदरों में पाई गई थी, इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ा। लेकिन अब यह इंसानों में भी फैल रही है। 2022 में इस बीमारी ने पूरी दुनिया को परेशान किया था। उस समय 140 लोगों की जान गई थी। अब 2024 में, सिर्फ अफ्रीका में ही 17,500 से ज्यादा लोग इससे बीमार हुए हैं और 460 लोगों की मौत हो चुकी है।
एमपॉक्स के लक्षण और फैलने का तरीका
एमपॉक्स के लक्षण आम तौर पर ये होते हैं:
- गर्दन में सूजन
- बुखार
- सिर दर्द
- बदन दर्द
- कमजोरी
यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। इसलिए डॉक्टर कहते हैं कि अगर किसी को ये लक्षण दिखें, तो उसे तुरंत जांच करवानी चाहिए।
भारत सरकार की तैयारियां
भारत सरकार इस बीमारी को लेकर बहुत सतर्क है। उन्होंने कई कदम उठाए हैं:
- अस्पतालों को अलर्ट किया गया है।
- विदेश से आने वाले लोगों की जांच की जा रही है।
- डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है।
विशेष रूप से, तमिलनाडु, हैदराबाद और दिल्ली जैसे शहरों में ज्यादा सावधानी बरती जा रही है। क्योंकि यहां अफ्रीका से बहुत सारे छात्र पढ़ने आते हैं।
बचाव के उपाय
एमपॉक्स से बचने के लिए कुछ आसान तरीके हैं:
- साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- बीमार लोगों से दूरी बनाए रखें।
- अगर कोई लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
भारत में बच्चों को एमपॉक्स से बचाने के लिए टीका दिया जाता है। 12 से 15 महीने के बच्चों को पहला टीका और 4 से 6 साल के बच्चों को दूसरा टीका लगाया जाता है।
एमपॉक्स एक गंभीर बीमारी है, लेकिन डरने की जरूरत नहीं है। अगर हम सावधानी बरतें और सरकार के निर्देशों का पालन करें, तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। याद रखें, स्वस्थ रहना हमारे हाथ में है!
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