कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में अपने आरक्षण से जुड़े बयानों पर सफाई दी है, जो उनके अमेरिका दौरे के दौरान विवाद का कारण बने थे। वाशिंगटन डीसी में छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत के बाद राहुल गांधी के बयान को कई लोगों ने आरक्षण विरोधी करार दिया था, लेकिन राहुल ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि वे आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि इसे 50% की सीमा से आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं।
आरक्षण पर राहुल गांधी की स्थिति
राहुल गांधी ने नेशनल प्रेस क्लब, अमेरिका में अपने इंटरव्यू के दौरान यह स्पष्ट किया कि वे और उनकी पार्टी आरक्षण को और मजबूत करने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा, “आरक्षण को 50 प्रतिशत से आगे बढ़ाया जाएगा ताकि समाज के उन वर्गों को और अधिक अवसर मिल सके, जिन्हें आज तक पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।” इस बयान के जरिए राहुल ने अपनी पार्टी की विचारधारा को मजबूती से पेश किया और यह दर्शाया कि कांग्रेस हमेशा वंचित वर्गों के हक की लड़ाई लड़ती रही है।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
इस विवाद की शुरुआत वाशिंगटन डीसी के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में हुई बातचीत से हुई थी, जहां राहुल गांधी ने भारत की सामाजिक संरचना पर अपने विचार व्यक्त किए थे। उन्होंने कहा था कि “जब भारत एक निष्पक्ष जगह बनेगा, तब आरक्षण को समाप्त करने पर विचार किया जा सकता है।” हालांकि, उनके इस बयान को गलत तरीके से पेश किया गया और इसे आरक्षण विरोधी बयान के रूप में प्रचारित किया गया।
जाति जनगणना की मांग और राहुल का नजरिया
राहुल गांधी ने जाति जनगणना के महत्व पर भी जोर दिया और इसे भारत के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को समझने का जरिया बताया। उन्होंने कहा कि “जाति जनगणना से हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि ओबीसी, दलित और आदिवासी समुदायों का समाज में और व्यवसायों में कितना प्रतिनिधित्व है।” राहुल गांधी का मानना है कि देश की 90% आबादी को आज भी समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, और आरक्षण की सीमा बढ़ाने से इस स्थिति में सुधार होगा।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी के इस बयान के बाद भाजपा ने उन पर तीखा हमला किया है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी का बयान कांग्रेस की वही पुरानी राजनीति को दर्शाता है, जो क्षेत्रवाद और जातीय मतभेदों के आधार पर देश में दरार पैदा करने का काम करती है। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने विदेश में जाकर भारत के आंतरिक मुद्दों पर टिप्पणी कर अपने देश का अपमान किया है।
आरक्षण की सीमा बढ़ाने का क्या होगा असर?
आरक्षण की सीमा 50% से आगे बढ़ाने का फैसला कई मायनों में अहम हो सकता है। यह न केवल वंचित वर्गों को और अधिक अवसर प्रदान करेगा, बल्कि भारत के सामाजिक ढांचे में एक बड़ा बदलाव भी ला सकता है। इसके साथ ही, यह मुद्दा राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण हो सकता है क्योंकि आरक्षण का समर्थन और विरोध दोनों ही पक्षों से आ सकते हैं।
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