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गणपति बप्पा की पूजा या चुनावी चाल? PM मोदी के CJI के घर जाने पर मचा बवाल

गणपति बप्पा की पूजा या चुनावी चाल? PM मोदी के CJI के घर जाने पर मचा बवाल

गणेश चतुर्थी के त्योहार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ के घर जाकर पूजा करना एक बड़ी खबर बन गई है। यह धार्मिक दौरा (Dharmik Daura) अब सियासी बहस का विषय बन गया है। आइए समझते हैं कि आखिर यह मामला इतना गरमाया क्यों है।

विवाद की जड़

प्रधानमंत्री मोदी ने गणेश चतुर्थी के दिन CJI के घर जाकर गणपति बप्पा की पूजा की। अब आम तौर पर किसी के घर जाकर पूजा करना कोई बड़ी बात नहीं होती। लेकिन जब देश का प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के घर जाता है, तो यह खबर बन जाती है।

कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस ने इस धार्मिक दौरे (Dharmik Daura) को लेकर प्रधानमंत्री पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह सच्ची भक्ति नहीं, बल्कि धर्म का राजनीतिक इस्तेमाल है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ने यह दौरा महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया है।

चुनावी चाल या भक्ति?

कांग्रेस का आरोप है कि प्रधानमंत्री ने यह दौरा चुनावी फायदे के लिए किया है। वेणुगोपाल ने सवाल उठाया कि आखिर प्रधानमंत्री अपने साथ कैमरा क्रू क्यों लेकर गए? उनका कहना है कि अगर यह सच्ची भक्ति होती, तो इसे इतना पब्लिसिटी नहीं दी जाती।

PM मोदी का जवाब

प्रधानमंत्री मोदी ने इन आरोपों पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग, जिन्हें गणेश उत्सव से ही समस्या है, वे समाज में बंटवारा चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वे हमेशा धर्म और संस्कृति का सम्मान करते रहेंगे और धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होते रहेंगे।

गहराता विवाद

यह विवाद सिर्फ एक धार्मिक दौरे (Dharmik Daura) तक सीमित नहीं है। इसने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या राजनेता धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो सकते? क्या CJI के घर जाना उचित था? क्या धर्म और राजनीति को अलग रखा जाना चाहिए?

आगे क्या?

यह विवाद आने वाले दिनों में और गरमा सकता है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में हर कदम, हर बयान को चुनावी नजरिए से देखा जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी और विपक्ष, दोनों अपने-अपने पक्ष में जनता को साधने की कोशिश करेंगे।

इस पूरे मामले से एक बात साफ है कि भारत में धर्म और राजनीति का रिश्ता बहुत जटिल है। एक धार्मिक दौरा (Dharmik Daura) भी बड़ी बहस का विषय बन सकता है। आने वाले समय में देखना यह होगा कि क्या यह मुद्दा चुनाव में कोई बड़ा रोल निभाता है या फिर यूं ही ठंडा पड़ जाता है।

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