Uncle-Nephew Battle in Baramati: महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा जा रहा है, जहां बारामती विधानसभा क्षेत्र में पवार परिवार के भीतर का राजनीतिक संघर्ष अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। पवार परिवार का टकराव (Pawar Family Conflict) अब सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप ले चुका है।
राजनीतिक रणनीति की नई करवट लेते हुए, शरद पवार ने एक ऐसा कदम उठाया है जो महाराष्ट्र की राजनीति में अभूतपूर्व है। उन्होंने अपनी पत्नी प्रतिभा पवार को चुनावी मैदान में उतार दिया है। पवार परिवार का टकराव (Pawar Family Conflict) अब और भी गहरा हो गया है, क्योंकि 80 वर्षीय प्रतिभा पवार पहली बार किसी चुनावी अभियान का हिस्सा बनी हैं।
पारिवारिक गतिशीलता
बारामती की राजनीतिक गलियों में अब एक नया समीकरण बन रहा है। एक तरफ अजीत पवार हैं, जिन्होंने दशकों तक इस क्षेत्र पर राज किया है, और दूसरी तरफ उनके भतीजे युगेंद्र पवार, जिनके साथ अब पूरा पवार परिवार खड़ा है। बारामती में चाचा-भतीजे की लड़ाई (Uncle-Nephew Battle in Baramati) ने स्थानीय राजनीति को एक नया आयाम दे दिया है।
भावनात्मक पहलू
प्रतिभा पवार का चुनाव प्रचार में उतरना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। वह न केवल घर-घर जाकर प्रचार कर रही हैं, बल्कि मतदाताओं से भावनात्मक जुड़ाव भी स्थापित कर रही हैं। उनकी मौजूदगी ने अजीत पवार को भी भावुक कर दिया है, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि प्रतिभा काकी उनकी मां समान हैं।
राजनीतिक प्रभाव
इस चुनावी संग्राम में प्रतिभा पवार की भूमिका महज एक प्रचारक की नहीं है। वह पवार परिवार की परंपरा और विरासत का प्रतीक बन गई हैं। युगेंद्र पवार के लिए प्रचार करते हुए, वह मतदाताओं को याद दिला रही हैं कि बारामती की राजनीतिक विरासत किस तरफ है।
अजीत पवार की चुनौतियां बढ़ गई हैं। एक ओर उन्हें अपने चाचा शरद पवार से मुकाबला करना है, वहीं दूसरी ओर अब उनकी चाची की भावनात्मक अपील से भी जूझना पड़ रहा है। यह चुनाव न केवल राजनीतिक प्रतिष्ठा का प्रश्न है, बल्कि पारिवारिक संबंधों की परीक्षा भी बन गया है।
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