भारत में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता की मिसाल पेश करने वाले जादव पायेंग, जिन्हें “भारत के वन पुरुष” (Forest Man of India) के नाम से जाना जाता है, ने अपनी असाधारण मेहनत और निस्वार्थ सेवा से दुनिया का ध्यान खींचा है। “अमृत रत्न सम्मान” (Amrit Ratna Award) पाने वाले इस महान व्यक्तित्व ने सैकड़ों हेक्टेयर बंजर जमीन को हरियाली में बदल दिया है। उनकी कहानी प्रेरणा का अद्भुत स्रोत है।
जादव पायेंग: हर दिन एक पौधा, हर दिन हरियाली
जादव पायेंग की यात्रा साल 1979 में शुरू हुई, जब वे मात्र 16 साल के थे। असम के माजुली द्वीप में रहने वाले इस युवा ने बंजर जमीन को हराभरा करने का सपना देखा और इसे हकीकत में बदलने की ठानी। उन्होंने हर दिन एक पौधा लगाने का नियम बनाया। धीरे-धीरे, यह पौधे विशाल जंगल का रूप लेने लगे, जिसे आज “मुलई वन” (Mulai Forest) के नाम से जाना जाता है।
42 साल की मेहनत के बाद, जादव ने अकेले 550 हेक्टेयर जमीन को जंगल में तब्दील कर दिया। आज यह वन न केवल हरियाली का प्रतीक है, बल्कि हाथियों, हिरणों, गैंडों और पक्षियों के लिए आवास भी बन गया है।
मुलई वन: एक अनोखा प्रयास
माजुली के “मुलई वन” में हरियाली और जीवन का सामंजस्य नजर आता है। यह जंगल लगभग 1360 एकड़ में फैला है और असम के पर्यावरण को एक नया स्वरूप देता है। यहां कई वन्य जीव रहते हैं, जिनमें हाथी, बाघ और हिरण प्रमुख हैं।
जादव पायेंग का यह जंगल असम के प्राकृतिक सौंदर्य का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने यह सब अपने दम पर किया, बिना किसी सरकारी सहायता के। उनकी कहानी से यह साबित होता है कि यदि दृढ़ संकल्प हो, तो कुछ भी असंभव नहीं।
भारत के वन पुरुष: एक साधारण जीवन
जादव पायेंग का जीवन बेहद साधारण है। उन्होंने कभी किसी बड़ी सुविधाओं की मांग नहीं की। उनकी दिनचर्या बेहद अनुशासित है। वे सुबह तीन बजे उठते हैं और पांच बजे अपनी नाव से मुलई वन पहुंच जाते हैं। वहां पूरे दिन पौधों और जंगल की देखभाल में बिताते हैं।
उनके अनुसार, “यह जंगल मेरा जीवन है। यहीं मेरी शादी हुई, और यहीं मेरे बच्चे बड़े हुए। हमें प्रकृति से प्रेम करना चाहिए। यह धरती माता का सम्मान है।”
उनकी यह सोच केवल एक संदेश नहीं है, बल्कि एक गहरी अपील है कि हम सभी अपने पर्यावरण की रक्षा करें।
अमृत रत्न सम्मान: देश का गौरव
“अमृत रत्न सम्मान” (Amrit Ratna Award) से जादव पायेंग को सम्मानित करना न केवल उनकी उपलब्धियों की सराहना है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का सम्मान भी है। इससे पहले, उन्हें 2015 में “पद्म श्री” से भी नवाजा गया था।
जादव का मानना है कि सम्मान से बड़ा कुछ नहीं है। उनका कहना है, “मुझे पैसों की जरूरत नहीं। यह सम्मान मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है।”
पर्यावरण के प्रति संदेश
जादव पायेंग ने करोड़ों भारतीयों से अपील की है कि वे प्रकृति से प्रेम करें और पर्यावरण की रक्षा करें। उनके अनुसार, “अगर हर भारतीय एक पौधा लगाए, तो हमारी धरती फिर से हरी-भरी हो जाएगी। हमें अपनी धरती माता का आदर करना चाहिए।”
उनकी यह अपील हम सभी के लिए एक सीख है। वे अकेले जंगल बना सकते हैं, तो क्या हम अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग नहीं कर सकते?
#JadavPayeng #ForestManOfIndia #AmritRatnaAward #Environment #GreenIndia
ये भी पढ़ें: Shinde vs Ajit Pawar: महाराष्ट्र में सत्ता से पहले सिर फुटव्वल शुरू, भाजपा की सहयोगी पार्टियां आमने-सामने