31 जुलाई 2024 को, इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने एक ऐसा ऑपरेशन अंजाम दिया, जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। इस ऑपरेशन में मोसाद ने हमास के वरिष्ठ नेता इस्माइल हानिया की हत्या (Ismail Haniyeh Assassination Operation) की। यह हत्या ईरान की राजधानी तेहरान में की गई, जो सुरक्षा के लिहाज से दुनिया के सबसे कड़े क्षेत्रों में से एक है।
हानिया, जो हमास के राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख थे, सआदत अबाद नामक सुरक्षित परिसर में ठहरे हुए थे। यह क्षेत्र ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) की कड़ी सुरक्षा के लिए प्रसिद्ध है। इस ऑपरेशन ने न केवल हमास को गहरी चोट पहुंचाई, बल्कि ईरान की सुरक्षा व्यवस्था में भी सेंध लगाई।
हानिया को निशाना बनाने की योजना कैसे बनी?
इस्माइल हानिया हमेशा कड़ी सुरक्षा में रहते थे और कतर, इस्तांबुल, और तेहरान के बीच यात्रा करते थे। मोसाद ने उनकी गतिविधियों और ठहरने की जगहों का गहराई से अध्ययन किया।
इज़राइल की खुफिया एजेंसी को पता चला कि हानिया अक्सर तेहरान के नेशात परिसर में रुकते थे। यह परिसर केवल ईरानी सरकार के उच्च अधिकारियों और IRGC सदस्यों के लिए आरक्षित था। यहां की कड़ी सुरक्षा और आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम के बावजूद, मोसाद ने इसे अपने ऑपरेशन का केंद्र बनाया।
सुरक्षा में सेंध और बम लगाने की योजना
इस ऑपरेशन का सबसे जोखिमभरा हिस्सा था, हानिया के कमरे में बम लगाना। यह काम एक अंदरूनी व्यक्ति ने किया, जो मोसाद के लिए काम कर रहा था। बम को बेहद सावधानी से हानिया के कमरे में एक तकिए के भीतर छिपाया गया।
हालांकि, ऑपरेशन में एक बड़ा खतरा उस समय आया जब कमरे का एयर-कंडीशनर खराब हो गया। हानिया ने कमरा बदलने का फैसला किया, लेकिन तकनीकी कर्मचारियों ने इसे समय रहते ठीक कर दिया।
रात 1:30 बजे, एक तेज धमाके ने परिसर को हिला दिया। इस धमाके में इस्माइल हानिया की मौके पर ही मौत हो गई।
ईरान और हमास के लिए बड़ा झटका
इस ऑपरेशन की सटीकता और गोपनीयता ने ईरान और हमास दोनों को चौंका दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, हमले के बाद ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख, इस्माइल कानी, तीन हफ्तों तक सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं दिए।
ईरानी नेतृत्व में इस घटना के बाद डर और अविश्वास फैल गया। इस बात का पता नहीं चल पाया है कि मोसाद को इस ऑपरेशन में किसने मदद की। कुछ रिपोर्ट्स का मानना है कि इसमें ईरानी नागरिक, IRGC के असंतुष्ट सदस्य, या हमास के ही अंदरूनी लोग शामिल हो सकते हैं।
मिशन का राजनीतिक और सामरिक प्रभाव
मोसाद के इस ऑपरेशन ने इज़राइल की खुफिया रणनीति की ताकत को एक बार फिर साबित किया। इसने न केवल हमास के नेतृत्व में अस्थिरता पैदा की, बल्कि ईरान की सुरक्षा प्रणाली की कमजोरियों को भी उजागर कर दिया।
यह घटना मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव और राजनीतिक अस्थिरता का भी प्रतीक है। यह दिखाती है कि इज़राइल अपने दुश्मनों को मात देने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
इस्माइल हानिया की हत्या, मोसाद की रणनीति (Mossad’s Strategy) और खुफिया क्षमता का एक अनोखा उदाहरण है। इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया कि इज़राइल अपने दुश्मनों को कमजोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ता। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई चर्चा को जन्म दिया है और यह लंबे समय तक एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी रहेगी।
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