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आखिर क्यों दुनिया में केवल एक ही प्रजाति बची है मानव की? जानें क्या कहता है विज्ञान

होमोसेपियन्स
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आज के समय में दुनिया में केवल मानव की एक प्रजाति जीवित है—होमोसेपियन्स। लेकिन हजारों साल पहले ऐसा नहीं था। होमोसेपियन्स के पूर्वज (Ancestors of Homo sapiens) और अन्य मानव प्रजातियां भी पृथ्वी पर मौजूद थीं। सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों सिर्फ हम, होमोसेपियन्स, बचे रह गए? दुनिया में एक प्रजाति (Only one species on Earth) के इस रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों ने कई सिद्धांत और शोध प्रस्तुत किए हैं।

मानव इतिहास की शुरुआत
मानव जाति का इतिहास अफ्रीका से लगभग छह लाख साल पहले शुरू हुआ। होमो एरगास्टर नाम की प्रजाति ने सबसे पहले उपकरण बनाए और अपने शिकार करने के तरीकों को विकसित किया। इसके बाद होमो इरेक्टस का विस्तार हुआ, जो एशिया और यूरोप तक फैल गए। ये शिकारी थे और संसाधनों को संजोने की कला जानते थे। करीब 1,20,000 साल पहले होमोसेपियन्स ने अफ्रीका से बाहर निकलना शुरू किया और धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल गए।

निएंडरथॉल और डेनिसोवन्स से मुकाबला
जब होमोसेपियन्स यूरोप पहुंचे, तो वहां पहले से निएंडरथॉल नाम की प्रजाति का वर्चस्व था। ये मजबूत शरीर वाले थे, लेकिन उनके मुकाबले होमोसेपियन्स का मस्तिष्क अधिक विकसित था। डेनिसोवन्स नामक एक और प्रजाति एशिया में पाई जाती थी। माना जाता है कि ये प्रजातियां 30 से 50 हजार साल पहले विलुप्त हो गईं।

महाज्वालामुखी और मानव प्रजातियों का विलुप्त होना
74,000 साल पहले दक्षिण-पूर्व एशिया में टोबा ज्वालामुखी फटा था। इसे महाविनाशकारी घटना माना जाता है, जिसने जलवायु और जीवित प्रजातियों को प्रभावित किया। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस घटना ने कई मानव प्रजातियों को नए हालात में ढलने के लिए मजबूर किया। होमोसेपियन्स ने अपनी बुद्धिमत्ता से खुद को बचा लिया, जबकि अन्य प्रजातियां ऐसा करने में असफल रहीं।

हम अकेले क्यों बचे?
प्रोफेसर क्रिस स्ट्रिंजर के अनुसार, ये कहना मुश्किल है कि बाकी प्रजातियां क्यों विलुप्त हो गईं। ये संभव है कि होमोसेपियन्स ने बाकी प्रजातियों को संसाधनों और क्षेत्र के लिए प्रतिस्पर्धा में हरा दिया। एक और संभावना ये है कि होमोसेपियन्स ने अन्य प्रजातियों के साथ आनुवांशिक मेल किया और वे धीरे-धीरे विलीन हो गईं।

आगे क्या कहती है रिसर्च?
आज भी वैज्ञानिक इस विषय पर शोध कर रहे हैं। हालांकि, ये स्पष्ट है कि हमारी अनुकूलन क्षमता, बेहतर सामाजिक संरचना और विकसित मस्तिष्क ने हमें बचाए रखा। इसने हमें नई तकनीकों को अपनाने और कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रहने में मदद की।

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