महाराष्ट्र

Fake Mathadi Workers: बीड से पुणे तक उगाही का खेल, महाराष्ट्र में नकली मथाडी कामगारों की अब खैर नहीं, सख्त कार्रवाई का वादा

Fake Mathadi Workers: बीड से पुणे तक उगाही का खेल, महाराष्ट्र में नकली मथाडी कामगारों की अब खैर नहीं, सख्त कार्रवाई का वादा

Fake Mathadi Workers in Maharashtra: महाराष्ट्र में इन दिनों एक ऐसी खबर सुर्खियों में है, जो हर किसी का ध्यान खींच रही है। राज्य के श्रम मंत्री आकाश फुंडकर ने नकली मथाडी कामगारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का ऐलान किया है। यह सुनकर शायद आपको हैरानी हो कि आखिर मथाडी कामगार कौन हैं और नकली होने की बात क्यों उठ रही है? चलिए, इस कहानी को शुरू से समझते हैं और जानते हैं कि सरकार इस समस्या से निपटने के लिए क्या करने जा रही है।

मथाडी कामगार महाराष्ट्र के लिए एक खास पहचान हैं। ये वो लोग हैं जो भारी सामान उठाने और ढोने का काम करते हैं, जैसे कि गोदामों में माल लादना या उतारना। इनकी मेहनत को सम्मान देने और इनके हक की रक्षा के लिए महाराष्ट्र हमाल, मथाडी और अन्य मैनुअल वर्कर्स एक्ट बनाया गया था। लेकिन पिछले कुछ सालों में इस कानून का गलत इस्तेमाल होने लगा। बहुत से ऐसे लोग सामने आए, जो असल में मेहनत करते नहीं, पर खुद को मथाडी कामगार बताकर फायदा उठा रहे हैं। श्रम मंत्री आकाश फुंडकर के मुताबिक, इन नकली कामगारों ने उद्योगों में डर और उगाही का माहौल बना दिया है।

यह समस्या कोई नई नहीं है। पुणे, नासिक, नागपुर, कोल्हापुर और छत्रपति संभाजीनगर जैसे जिलों से शिकायतें आ रही हैं। वहां के व्यापारियों और उद्यमियों का कहना है कि उन्हें ऐसे मथाडी कामगारों को काम पर रखना पड़ता है, जो न तो मेहनत करते हैं और न ही समय पर आते हैं। फिर भी, इनसे पैसे वसूले जाते हैं। इससे कारोबार पर बोझ बढ़ता है और काम का माहौल खराब होता है। फुंडकर ने बताया कि कुछ यूनियन लीडर और राजनीतिक रसूख वाले लोग इन नकली रजिस्ट्रेशनों को बढ़ावा दे रहे हैं। उनका कहना है कि ये लोग मथाडी कामगारों के नाम पर उगाही कर रहे हैं, जो कि एक तरह से धोखा है।

अब सरकार ने इस गड़बड़ी को खत्म करने का फैसला किया है। इसके लिए एक बड़ा डिजिटल बदलाव लाने की तैयारी चल रही है। सरकार मथाडी कामगारों के रजिस्ट्रेशन को आधार कार्ड से जोड़ेगी। साथ ही, बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम और नियोक्ताओं से सत्यापन की व्यवस्था शुरू की जाएगी। इससे यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि कौन असली कामगार है और कौन नकली। श्रम मंत्री ने साफ कहा कि उनका मकसद असली मथाडी कामगारों की मदद करना है, न कि उनकी मुश्किलें बढ़ाना। लेकिन जो लोग सिस्टम का गलत फायदा उठा रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

इसके अलावा, सरकार हर जिले में मथाडी बोर्ड का ऑडिट करवाने जा रही है। एक हाई-लेवल कमेटी बनाई जाएगी, जो मौजूदा रजिस्ट्रेशनों की जांच करेगी। अगर कोई रजिस्ट्रेशन फर्जी पाया गया, तो उसे तुरंत रद्द कर दिया जाएगा। फुंडकर ने यह भी संकेत दिया कि जरूरत पड़ी तो मौजूदा नियमों में बदलाव भी किए जा सकते हैं। उनका कहना है कि सरकार का लक्ष्य मेहनती कामगारों और ईमानदार व्यापारियों के बीच संतुलन बनाना है। वह नहीं चाहते कि निवेशक परेशान हों या उद्योगों को नुकसान उठाना पड़े।

यह पूरा मामला तब और गंभीर हो गया, जब पिछले महीने महाराष्ट्र विधानसभा ने मथाडी एक्ट में संशोधन को मंजूरी दी। इस नए बदलाव में मैनुअल काम को साफ तौर पर परिभाषित किया गया है, ताकि यह तय हो सके कि असली कामगार कौन हैं। इससे नकली मथाडी कामगारों (नकली मथाडी कामगार / Fake Mathadi Workers) को हटाने में मदद मिलेगी। उद्योग जगत ने इस कदम का स्वागत किया है, क्योंकि उनका मानना है कि इससे कारोबार का माहौल बेहतर होगा।

श्रम मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार को कई उद्यमियों ने अपनी परेशानी बताई है। उनका कहना है कि उन्हें ऐसे कामगारों को पैसे देने पड़ते हैं, जो काम पर आते ही नहीं। यह न सिर्फ आर्थिक नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उद्योगों में अराजकता भी फैलाता है। फुंडकर ने जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र सरकार नकली मथाडी कामगारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई (सख्त कार्रवाई / Strict Action) करेगी। वह चाहते हैं कि कानून का इस्तेमाल सिर्फ मेहनतकश लोगों और कारोबारियों के हक में हो, न कि किसी के निजी फायदे के लिए।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार का यह डिजिटल प्लान कितना असरदार साबित होता है। असली मथाडी कामगारों को उनका हक मिले और नकली लोग सिस्टम से बाहर हों, यही इस कदम का मकसद है। यह खबर नई पीढ़ी के लिए भी अहम है, क्योंकि यह दिखाती है कि सरकार किस तरह पुरानी समस्याओं को नए तरीकों से हल करने की कोशिश कर रही है।


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