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महाराष्ट्र की सियासत में ठाकरे बंधुओं का गठबंधन: क्या होगी नई शुरुआत?

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महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे बंधुओं, राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के एक साथ आने की चर्चाएं फिर से सुर्खियों में हैं। हाल ही में राज ठाकरे ने एक पॉडकास्ट में बड़ा खुलासा किया, जिसने इन अटकलों को और हवा दी है। क्या वाकई में ठाकरे बंधु मराठी मानुष के हित में एक साथ आ सकते हैं? आइए जानते हैं इस खबर की पूरी सच्चाई।

राज ठाकरे का बड़ा बयान
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने मशहूर अभिनेता-निर्देशक महेश मांजरेकर के पॉडकास्ट में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा, “मराठी और मराठी मानुष के हित में मैं सब कुछ कर सकता हूं। पुराने गिले-शिकवे भुलाकर उद्धव के साथ मिलकर काम करने को तैयार हूं।” ये बयान तब और महत्वपूर्ण हो गया, जब हाल ही में राज ठाकरे की एकनाथ शिंदे से मुलाकात हुई थी।

उद्धव ठाकरे की तीखी प्रतिक्रिया
राज के इस प्रस्ताव पर शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता उद्धव ठाकरे ने कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “मराठियों के हित में मैं भी सब कुछ कर सकता हूं, लेकिन राज ठाकरे पहले कसम खाएं कि वे कभी गद्दारों के साथ नहीं जाएंगे और न ही उन्हें अपने घर खाने पर बुलाएंगे।” उद्धव का ये बयान स्पष्ट रूप से एकनाथ शिंदे और उनकी शिवसेना के प्रति इशारा करता है।

क्या है गठबंधन की संभावना?
पिछले कुछ वर्षों से मनसे और शिवसेना (उद्धव गुट) के बीच गठबंधन की संभावनाओं पर सवाल उठते रहे हैं। खासकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही ये कयास लगाए जा रहे हैं कि ठाकरे बंधु एक साथ आ सकते हैं। कई पारिवारिक और सामाजिक समारोहों में दोनों भाइयों को साथ देखा गया है, जिसने इन अटकलों को और बल दिया।

हालांकि, मौजूदा जटिल राजनीतिक समीकरणों में दोनों का एक साथ आना आसान नहीं है। राज और उद्धव के बीच पुराने मतभेद और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ चल रही सियासी जंग इस गठबंधन की राह में बड़ी बाधा है।

महाराष्ट्र की जनता की नजर
महाराष्ट्र की जनता ठाकरे बंधुओं के इस संभावित गठबंधन पर करीबी नजर रखे हुए है। मराठी अस्मिता और क्षेत्रीय हितों को लेकर दोनों नेताओं की प्रतिबद्धता किसी से छिपी नहीं है। लेकिन क्या वे अपने निजी और राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर पाएंगे? ये सवाल अभी भी सवालों के घेर में है।

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