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Is Palm Oil Bad for Health? क्यों बदनाम हो रहा पाम ऑयल, क्या वाकई है ये इतना बुरा?

Is Palm Oil Bad for Health? क्यों बदनाम हो रहा पाम ऑयल, क्या वाकई है ये इतना बुरा?

Is Palm Oil Bad for Health? खाने का तेल – ये वो चीज़ है जो हर घर की रसोई में मिलती है। बिस्किट, चिप्स, आइसक्रीम, चॉकलेट – इन सबमें एक तेल ऐसा है जो हर जगह छाया रहता है, और वो है पाम ऑयल। ये सस्ता है, इसका स्वाद न्यूट्रल है, और इसे लंबे समय तक रखा जा सकता है। लेकिन आजकल Palm Oil को लेकर सोशल मीडिया पर खूब हंगामा है। कोई इसे सेहत का दुश्मन बता रहा है, तो कोई कह रहा है कि ये खाना “आत्महत्या” करने जैसा है। हाल ही में अभिनेता-निर्माता जैकी भगनानी ने इसे “ज़िंदगी की सबसे खतरनाक चीज़” तक कह डाला। लेकिन क्या स्वास्थ्य के लिए पाम ऑयल वाकई इतना बुरा है? या ये सब सिर्फ मार्केटिंग का खेल है? आइए, साइंस और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की गाइडलाइंस की मदद से इसकी सच्चाई जानते हैं।

सबसे पहले तेल की बुनियाद को समझते हैं। हर तेल में मुख्य रूप से तीन तरह के फैटी एसिड्स होते हैं – सैचुरेटेड फैट्स (SFA), जो “बुरे” माने जाते हैं, और मोनो-अनसैचुरेटेड (MUFA) व पॉली-अनसैचुरेटेड फैट्स (PUFA), जो “अच्छे” कहलाते हैं। सैचुरेटेड फैट्स की मात्रा ज़्यादा होने से शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ता है, जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। पाम ऑयल में सैचुरेटेड फैट्स की मात्रा काफ़ी होती है। ICMR की गाइडलाइंस के मुताबिक, 100 ग्राम पाम ऑयल (पामोलिन) में करीब 40 ग्राम सैचुरेटेड फैट्स और 40 ग्राम MUFA होता है, बाकी PUFA। तुलना करें तो नारियल तेल में 90 ग्राम और घी में 70 ग्राम सैचुरेटेड फैट्स होते हैं, जबकि सरसों, सूरजमुखी और सैफ्लावर तेल में ये मात्रा 10 ग्राम से भी कम है।

लेकिन एक बात जो Palm Oil को थोड़ा अलग बनाती है, वो है इसका हाइड्रोजेनेशन न होना। कई तेलों को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए हाइड्रोजेनेट किया जाता है, जिससे ट्रांस फैट्स बनते हैं। ये ट्रांस फैट्स डायबिटीज, कैंसर और गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं। चूंकि पाम ऑयल कमरे के तापमान पर ही सेमी-सॉलिड रहता है, इसे हाइड्रोजेनेट करने की ज़रूरत नहीं पड़ती। 1990 के दशक में जब हाइड्रोजेनेटेड तेलों को लेकर चिंताएं बढ़ीं, तब स्वास्थ्य के लिए पाम ऑयल की लोकप्रियता बढ़ी। इसके अलावा, इसमें टोकोट्रिनॉल्स जैसे एंटीऑक्सिडेंट्स भी होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।

ICMR की गाइडलाइंस कहती हैं कि सेहत के लिए तेलों का मिश्रण इस्तेमाल करना चाहिए, जिसमें सैचुरेटेड फैट्स कम और PUFA ज़्यादा हो। यानी Palm Oil Health Risks को देखते हुए इसे जितना हो सके कम खाना बेहतर है। लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोग घी और नारियल तेल को ज़्यादा सेहतमंद बताते हैं, जो गलत है, क्योंकि इनमें सैचुरेटेड फैट्स की मात्रा पाम ऑयल से भी ज़्यादा होती है।

तेल कितना खाना चाहिए? ICMR कहता है कि एक व्यक्ति को दिन में 20 से 50 ग्राम (4 से 10 चम्मच) तेल खाना चाहिए। अगर आपकी ज़िंदगी में ज़्यादा शारीरिक मेहनत नहीं है, तो 20-30 ग्राम ही काफी है। इसके अलावा, फैट्स की ज़रूरत को पूरा करने के लिए अखरोट, अलसी, चिया सीड्स, सोयाबीन और मेथी जैसे नट्स और बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए। मछली, समुद्री खाना और अंडे भी PUFA के अच्छे स्रोत हैं।

एक और अहम बात – तेल को बार-बार गर्म नहीं करना चाहिए। जब तेल को गर्म किया जाता है, तो उसमें मौजूद PUFA ऑक्सीजन के साथ रिएक्शन करके हानिकारक तत्व बनाते हैं, जो हृदय रोग और कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं। अगर तेल को दोबारा इस्तेमाल करना ही हो, तो उसे हाई टेम्परेचर पर नहीं पकाना चाहिए और एक-दो दिन में खा लेना चाहिए।

पाम ऑयल को लेकर चल रही बहस में साइंस यही कहता है कि न तो ये पूरी तरह सेहत का दुश्मन है, और न ही कोई चमत्कारी तेल। ये बस एक तेल है, जिसे सही मात्रा और सही तरीके से खाना चाहिए। सेहत सिर्फ तेल पर नहीं, बल्कि आपकी पूरी डाइट और लाइफस्टाइल पर निर्भर करती है।

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