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Turkey Builds Mosques on Nepal Border: नेपाल सीमा पर तुर्की की साजिश! मस्जिदें और मदरसे बनाकर भारत को क्यों निशाना बना रहा है?

Turkey Builds Mosques on Nepal Border: नेपाल सीमा पर तुर्की की साजिश! मस्जिदें और मदरसे बनाकर भारत को क्यों निशाना बना रहा है?

Turkey Builds Mosques on Nepal Border: भारत और नेपाल की सीमा हमेशा से दोस्ती और भाईचारे की मिसाल रही है। 1,751 किलोमीटर लंबी इस खुली सीमा पर लोग बिना किसी रोक-टोक के आते-जाते हैं। लेकिन अब इस सीमा पर कुछ ऐसा हो रहा है, जो भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन रहा है। खुफिया रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि तुर्की नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में मस्जिदें और मदरसे बना रहा है। यह काम तुर्की के एक गैर-सरकारी संगठन आईएचएच के जरिए हो रहा है, जिसके चरमपंथी समूहों से संबंध होने की बात सामने आई है।

2018 से 2021 के बीच नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में मस्जिदों की संख्या 760 से बढ़कर 1,000 हो गई, और मदरसों की संख्या 508 से 645 तक पहुंच गई। इन धार्मिक केंद्रों को बनाने के लिए तुर्की और पाकिस्तान से बड़ी मात्रा में पैसा आ रहा है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पिछले दो सालों में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की विदेशी फंडिंग इन इलाकों में आई है। यह पैसा नेपाल के स्थानीय इस्लामी संगठनों, जैसे इस्लामी संघ नेपाल, के साथ मिलकर मस्जिदों, मदरसों और अनाथालयों के निर्माण में लगाया जा रहा है।

रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि इन धार्मिक केंद्रों का इस्तेमाल सिर्फ पूजा के लिए नहीं हो रहा। इनका उपयोग धर्मांतरण के लिए भी किया जा रहा है, जिससे इलाके की संस्कृति और जनसांख्यिकी पर असर पड़ रहा है। खासकर उत्तर प्रदेश के महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर और बिहार के पश्चिम चंपारण जैसे सीमावर्ती जिलों में यह गतिविधियां बढ़ रही हैं। तुर्की का यह कदम भारत के लिए कई तरह की चुनौतियां खड़ी कर रहा है, जिसमें क्षेत्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द का खतरा सबसे बड़ा है।

भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और सीमा के 10-15 किलोमीटर के दायरे में अवैध मस्जिदों और मदरसों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। कई गैर-पंजीकृत संस्थानों को बंद किया गया है, और अवैध इमारतों को तोड़ने की प्रक्रिया भी चल रही है। लेकिन खुली सीमा और विदेशी फंडिंग की वजह से यह चुनौती अभी भी बनी हुई है। नेपाल के रास्ते भारत में घुसपैठ और कट्टरपंथी गतिविधियों की आशंका ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है।

यह मामला सिर्फ धार्मिक केंद्रों के निर्माण तक सीमित नहीं है। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि इन संस्थानों का इस्तेमाल भारत-विरोधी भावनाएं भड़काने और चरमपंथी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भी हो सकता है। तुर्की की इस रणनीति से नेपाल में उसका प्रभाव बढ़ रहा है, जिसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। सुरक्षा एजेंसियां इस नेटवर्क की गहराई तक पहुंचने के लिए दिन-रात काम कर रही हैं।

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