Shivaji 12 Forts Named UNESCO Heritage: छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। यह खबर महाराष्ट्र के हर कोने में खुशी की लहर ले आई है। इनमें से 11 किले महाराष्ट्र में हैं, जिनमें रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, पन्हाला, शिवनेरी, लोहागढ़, सालहेर, सिंधुदुर्ग, सुवर्णदुर्ग, विजयदुर्ग और खंडेरी शामिल हैं। एक किला तमिलनाडु के जिंजी में है। यह मराठा इतिहास और भारत की सांस्कृतिक विरासत के लिए गर्व का पल है।
इन किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने का प्रस्ताव महाराष्ट्र के पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय ने तैयार किया था। इन किलों की खासियत उनकी सैन्य रणनीति, मराठा स्थापत्य कला और सह्याद्रि पर्वतों का बेहतरीन इस्तेमाल है। शिवाजी महाराज ने इन किलों को बनाकर मराठा साम्राज्य की ताकत को दुनिया के सामने पेश किया था। उनकी गुरिल्ला युद्ध नीति और सैन्य नवाचार ने इन किलों को खास बनाया।
यूनेस्को में भारत के प्रतिनिधियों ने इस मौके को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि ये किले न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए अनमोल धरोहर हैं। इन किलों में मराठा संस्कृति, सैन्य कौशल और स्थापत्य कला का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है। भारत ने इसे छत्रपति शिवाजी महाराज के ज्ञान और उनके लोगों की भलाई के लिए किए गए कार्यों को समर्पित किया।
इस उपलब्धि के लिए भारत ने कई लोगों का आभार जताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, सांस्कृतिक मंत्री आशीष शेलार और केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का खास तौर पर धन्यवाद किया गया। उनकी मदद और केंद्र सरकार की सक्रिय भागीदारी ने इस सपने को हकीकत में बदला।
यूनेस्को में जब इस फैसले की घोषणा हुई, तो वहां मौजूद भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने “जय भवानी, जय शिवाजी” के नारे लगाए। यह पल हर शिवभक्त और मराठा इतिहास से जुड़े लोगों के लिए गर्व का मौका है। इन किलों की मान्यता ने दुनिया भर में मराठा साम्राज्य की ताकत और भारत की समृद्ध विरासत को एक बार फिर उजागर किया है।