Mahadev Munde Murder: तुलजापूर के परली में 21 अक्टूबर 2023 को हुई महादेव मुंडे की हत्या ने पूरे महाराष्ट्र को हिलाकर रख दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से इस हत्याकांड की क्रूरता सामने आई है। हत्यारों ने महादेव के गले पर 20 सेंटीमीटर लंबा, 7 सेंटीमीटर चौड़ा और 3 सेंटीमीटर गहरा वार किया। इसके अलावा, उनके चेहरे, गले और हाथों पर कुल 16 बार चाकू से हमला किया गया। उनकी श्वसन नली और बड़ी रक्तवाहिनियां कट गई थीं। प्रतिरोध करने की कोशिश में उनके दोनों हाथों पर गहरी चोटें आईं। यह सब इतना भयानक था कि सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं।
महादेव की हत्या उस रात हुई जब वह अपने रोज के काम से लौट रहे थे। 20 अक्टूबर की शाम को उन्होंने ट्यूशन से बच्चों को घर छोड़ा और पिग्मी कलेक्शन का काम किया। रात 7:10 बजे वह शिवाजी चौक पर सीसीटीवी में दिखे। इसके बाद वह आझाद चौक पर एक दोस्त से मिले। रात 9 बजे उनकी मोटरसाइकिल वन विभाग के कार्यालय के पास मिली, जिस पर खून के धब्बे थे। मोटरसाइकिल के पास दो चप्पलें मिलीं, जिनमें से एक महादेव की थी। उनकी बाइक में आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक पासबुक भी थी, लेकिन उनका मोबाइल, अंगूठी, लॉकेट और 1 से 1.5 लाख रुपये का पिग्मी कलेक्शन गायब था।
अगले दिन सुबह 7:10 बजे पुलिस कॉन्स्टेबल भास्कर केंद्रे ने महादेव के मेहुणे सतीश फड को फोन किया। सतीश ने तुरंत महादेव के घर संपर्क किया, लेकिन उनका फोन बंद था। सुबह जब सतीश उनके घर पहुंचे, तो पता चला कि महादेव तुलजापूर गए हैं। उसी दिन सुबह उनकी लाश वन विभाग के कार्यालय से 50 मीटर दूर मिली। हैरानी की बात यह थी कि रात में पुलिस को यह लाश क्यों नहीं दिखी।
पोस्टमार्टम में पता चला कि महादेव के चेहरे, नाक, गले और हाथों पर चाकू के कई वार थे। एक वार उनके मुंह से कान तक गया था, जो 13 सेंटीमीटर लंबा था। डॉक्टरों ने बताया कि अत्यधिक खून बहने से सदमे के कारण उनकी मौत हुई। पुलिस ने पंचनामा किया और शव को परिजनों को सौंपने से पहले आठ दिन में हत्यारों को पकड़ने का वादा किया। लेकिन 20 महीने बीत जाने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
इस देरी से गुस्साए महादेव की पत्नी ज्ञानेश्वरी मुंडे ने आत्महत्या की कोशिश की। उन्होंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने जहर पी लिया और अब वह बीड के जिला अस्पताल में गहन चिकित्सा में हैं। परिवार का कहना है कि पुलिस की सुस्ती की वजह से हत्यारे आज भी आजाद घूम रहे हैं।
यह मामला विधानसभा में भी उठा, जहां मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि इस केस की सुनवाई फास्ट-ट्रैक कोर्ट में होगी। गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी आश्वासन दिया कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन परिवार और स्थानीय लोग अब भी इंसाफ की राह देख रहे हैं।