मुंबई

Jai Bhim Nagar: जयभीम नगर में फिर बुलडोजर; सैकड़ों परिवार बेघर, मांग रहे स्थायी घर

Jai Bhim Nagar: जयभीम नगर में फिर बुलडोजर; सैकड़ों परिवार बेघर, मांग रहे स्थायी घर

Jai Bhim Nagar: मुंबई के पवई इलाके में जयभीम नगर की झुग्गियों में रहने वाले सैकड़ों परिवारों पर एक बार फिर बुलडोजर चल गया। बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद 21 अगस्त 2025 को फुटपाथ पर बने अस्थायी झोपड़ों को हटा दिया। इस कार्रवाई में भारी पुलिस बल और मनपा के अधिकारी मौजूद थे। हीरानंदानी गार्डन और पवई प्लाजा के सामने फुटपाथ पर बने ये झोपड़े पिछले साल जून 2024 में हुई तोड़फोड़ के बाद बने थे।

पिछले साल जून में बीएमसी ने जयभीम नगर की करीब 650 झुग्गियों को तोड़ दिया था। उस समय झुग्गीवासियों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी, जिसमें 55 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। कई परिवारों ने फुटपाथ पर प्लास्टिक और तिरपाल से अस्थायी घर बना लिए थे। लेकिन अब हाईकोर्ट के आदेश पर इन झोपड़ों को भी हटा दिया गया। बीएमसी ने लोगों को मुंबई के अलग-अलग शेल्टर होम में जाने के लिए नोटिस दी थी, लेकिन ज्यादातर परिवारों ने वहां जाने से मना कर दिया।

झुग्गीवासियों का कहना है कि वे 30 साल से ज्यादा समय से जयभीम नगर में रह रहे हैं। उनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड, बिजली बिल और वोटर आईडी जैसे वैध दस्तावेज हैं। फिर भी, उन्हें बिना ठोस विकल्प के बेदखल कर दिया गया। एक निवासी शोभा पवार ने बताया कि बारिश के बीच 24 घंटे में फुटपाथ खाली करने का नोटिस मिला था। उन्होंने कहा कि उनके बच्चों के स्कूल और काम की जगह यहीं पास में हैं, ऐसे में शेल्टर होम में जाना मुश्किल है।

कार्रवाई के दौरान कुछ लोग अपना सामान लेकर दूसरी जगह चले गए, जबकि कई अब भी फुटपाथ पर सामान के साथ बैठे हैं। बीएमसी ने शेल्टर होम का विकल्प दिया, लेकिन वहां परिवारों को अलग-अलग रखने की शर्त थी। मीना निंबाले नाम की एक महिला ने बताया कि ज्यादातर महिलाएं पास के घरों में नौकरानी का काम करती हैं। शेल्टर होम दूर होने की वजह से उनका काम और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी।

जयभीम नगर के निवासियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मुआवजे और पास में ही स्थायी घर की मांग की थी। उनका कहना है कि जून 2024 की तोड़फोड़ गैरकानूनी थी और मानसून में ऐसी कार्रवाई के खिलाफ सरकारी नियम हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में विशेष जांच दल बनाने और एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था, लेकिन निवासियों का कहना है कि उन्हें अब तक कोई राहत नहीं मिली।

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