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Jhatka vs Halal Meat: झटका और हलाल मीट में क्या है असली अंतर? गिरिराज सिंह के बयान ने मचाया तहलका!

Jhatka vs Halal Meat: झटका और हलाल मीट में क्या है असली अंतर? गिरिराज सिंह के बयान ने मचाया तहलका!

Jhatka vs Halal Meat: केंद्रीय कपड़ा मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता गिरिराज सिंह ने बिहार के मधुबनी जिले में एक मीट की दुकान ‘झटकाज़’ का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने हिंदुओं से हलाल मीट छोड़कर झटका मीट खाने की सलाह दी। उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर खूब हलचल मचाई, और लोग इसे लेकर तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। गिरिराज सिंह ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए हिंदुओं को झटका मीट खाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने मुस्लिम समुदाय की तारीफ की, जो अपने धार्मिक नियमों का पालन करते हुए हलाल मीट खाते हैं और झटका मीट से परहेज करते हैं। इस बयान ने एक बार फिर झटका और हलाल मीट के बीच के अंतर को चर्चा में ला दिया है।

झटका मीट वह होता है, जिसमें जानवर को एक ही तेज वार से मारा जाता है। इस प्रक्रिया में एक धारदार हथियार से जानवर की गर्दन पर ऐसा प्रहार किया जाता है कि उसका सिर तुरंत धड़ से अलग हो जाता है, और वह बिना ज्यादा दर्द के मर जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस तरीके से जानवर को कम से कम तकलीफ होती है। सिख समुदाय में झटका मीट खाने की परंपरा रही है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, झटका मीट का पीएच मान 7 के आसपास होता है, जिसके कारण मांस कभी-कभी थोड़ा सख्त हो सकता है। जानवर को मारने से पहले उसे बेहोश करने की कोशिश की जाती है ताकि उसे दर्द का एहसास न हो।

वहीं, हलाल मीट इस्लामी नियमों के अनुसार तैयार किया जाता है। हलाल का मतलब है ‘जायज’ या ‘वैध’। इस प्रक्रिया में जानवर को मारने से पहले अल्लाह का नाम लिया जाता है, और एक छोटी दुआ पढ़ी जाती है, जिसे तसमिया कहते हैं। हलाल विधि में जानवर की गर्दन पर चीरा लगाया जाता है, ताकि उसका खून पूरी तरह निकल जाए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरीके से मांस में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं, क्योंकि खून निकालना अनिवार्य होता है। इस्लामी नियमों के अनुसार, जानवर का जीवित और स्वस्थ होना भी जरूरी है।

भारत में हलाल मीट का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है, खासकर पश्चिम एशिया के देशों को निर्यात के लिए। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक हलाल खाद्य बाजार 2021 में 1.97 ट्रिलियन डॉलर का था, और 2027 तक इसके 3.9 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। केन रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में भारत का हलाल खाद्य बाजार 19 बिलियन डॉलर का था। आईएमएआरसी ग्रुप के अनुसार, 2024 में भारत का हलाल मीट निर्यात बाजार 285.3 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, और 2033 तक इसके 772.3 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जो 10.60% की वृद्धि दर दिखाता है।

गिरिराज सिंह का यह बयान कोई नया नहीं है। इससे पहले 2023 में उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर हलाल मीट के कारोबार को देशद्रोह करार दिया था। उन्होंने बिहार में हलाल सर्टिफिकेट वाले खाद्य उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। बेगूसराय में एक मीट की दुकान का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है, जिसे ‘गिरिराज अमर झटका मीट’ कहा जाता है।

विपक्ष ने गिरिराज सिंह के इस बयान की कड़ी आलोचना की है। राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि गिरिराज सिंह को लोगों के खान-पान पर सलाह देने के बजाय अपने मंत्रालय के काम पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान हर व्यक्ति को अपनी पसंद का खाना खाने की आजादी देता है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी इस बयान की निंदा की और कहा कि गिरिराज सिंह अपने कपड़ा मंत्रालय के काम को ठीक करने में नाकाम रहे हैं, फिर भी देश को सलाह दे रहे हैं।

यह विवाद एक बार फिर खान-पान और धर्म के बीच के रिश्ते को लेकर बहस छेड़ गया है। लोग सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर अपनी राय दे रहे हैं, और यह चर्चा अभी थमने का नाम नहीं ले रही।

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