उत्तर प्रदेश के आगरा में वो ऐतिहासिक स्थान, जहां मुगल बादशाह औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज को नजरबंद किया था, अब एक भव्य स्मारक के रूप में विकसित किया जाएगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस प्रस्ताव की इच्छा जाहिर की थी, जिसे अब महाराष्ट्र सरकार ने आधिकारिक रूप से मंजूरी दे दी है। शुक्रवार (21 मार्च) को सरकार ने इस संबंध में एक आधिकारिक GR (सरकारी प्रस्ताव) जारी किया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की घोषणा
हाल ही में एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि आगरा में जहां छत्रपति शिवाजी महाराज को नजरबंद किया गया था, वहां उनका भव्य स्मारक बनना चाहिए। इसके बाद, महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने इस पर औपचारिक रूप से सहमति जताते हुए GR जारी किया। सरकार ने घोषणा की कि वो आगरा में इस ऐतिहासिक स्थान को अधिग्रहित करेगी और वहां पर छत्रपति शिवाजी महाराज का भव्य स्मारक बनाएगी।
महाराष्ट्र सरकार के GR में क्या कहा गया?
महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से जारी किए गए GR में स्पष्ट किया गया है कि छत्रपति शिवाजी महाराज को मुगलों द्वारा कैद किया गया था, लेकिन वे अपनी बुद्धिमत्ता और चतुराई से इस कैद से बच निकलने में सफल रहे। महाराष्ट्र के लोगों के लिए यह स्थान ऐतिहासिक महत्व रखता है, लेकिन वहां कोई स्मारक या प्रतीक चिन्ह मौजूद नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने ये निर्णय लिया है कि पर्यटन विभाग इस परियोजना के लिए आवश्यक निधि आवंटित करेगा।
औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर विवाद
छत्रपति शिवाजी महाराज के स्मारक के निर्माण की ये घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब महाराष्ट्र में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर विवाद चल रहा है। नागपुर में हाल ही में (17 मार्च) इस मुद्दे को लेकर हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान कई वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं भी सामने आईं।
अबू आजमी के बयान से बढ़ा विवाद
मुगल शासक औरंगजेब को लेकर विवाद तब और बढ़ गया, जब समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी ने उनकी तारीफ कर दी। इसके बाद उन्हें विधानसभा सत्र से निलंबित कर दिया गया। इस बयान के बाद औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर राजनीतिक बयानबाजी और ज्यादा तेज हो गई।
महाराष्ट्र सरकार का ये फैसला ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने और छत्रपति शिवाजी महाराज के योगदान को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आगरा में इस स्मारक के निर्माण से न केवल ऐतिहासिक स्थान को नई पहचान मिलेगी, बल्कि ये पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल बनेगा। अब देखना ये होगा कि ये परियोजना कब तक पूरी होती है और इससे जुड़ी राजनीतिक हलचल क्या नया मोड़ लेती है।