हाल ही में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अग्निवीर का मुद्दा उठाया, जिससे यह विषय फिर से चर्चा में आ गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी पर अग्निवीर के बलिदान पर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि वह गलत तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं।
- अग्निवीर और नियमित सैनिक के बीच अंतर:
- अग्निवीर योजना के तहत भर्ती किए गए सैनिक और नियमित सैनिक की सेवा शर्तों में अंतर है।
- अग्निवीर के वीरगति प्राप्त करने पर उनके परिवार को बड़ी आर्थिक सहायता मिलती है, लेकिन पेंशन नहीं मिलती।
- अग्निवीर की सेवा शर्तें:
- अग्निवीर चार साल के लिए भर्ती होते हैं, जिसमें से केवल 25% को नियमित सैनिक बनने का मौका मिलता है।
- चार साल के बाद अग्निवीर को न पेंशन मिलती है और न ही पूर्व सैनिक का दर्जा।
- अग्निवीर परिवार को मिलने वाली सहायता:
- युद्ध में घायल होने या वीरगति प्राप्त करने पर अग्निवीर के परिवार को विभिन्न प्रकार की आर्थिक सहायता मिलती है, जैसे इंश्योरेंस, सेवा निधि, एक्स ग्रेशिया, आदि।
- नियमित सैनिक परिवार को मिलने वाली सहायता:
- नियमित सैनिक की मृत्यु या युद्ध में घायल होने पर उनके परिवार को इंश्योरेंस, एक्स ग्रेशिया, और पेंशन मिलती है।
- पेंशन का मुद्दा:
- अग्निवीर की ड्यूटी के दौरान मृत्यु या घायल होने पर उनके परिवार को पेंशन नहीं मिलती।
- जबकि नियमित सैनिक की बैटल कैजुअल्टी होने पर उनके परिवार को पेंशन मिलती है।
- नियमित सैनिक के परिवार को अन्य सुविधाएँ भी मिलती हैं, जैसे मिलिट्री हॉस्पिटल, ईसीएचएस, और आर्मी कैंटीन।
- डिसएबिलिटी पेंशन:
- अग्निवीर को डिसएबिलिटी पेंशन नहीं मिलती, जबकि नियमित सैनिक को ड्यूटी के दौरान अंग खोने या गंभीर चोट लगने पर डिसएबिलिटी पेंशन मिलती है।
विवाद का कारण
अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए गए अग्निवीर भी देश के लिए नियमित सैनिकों की तरह ही काम करते हैं। लेकिन उनके और नियमित सैनिकों के परिवारों को मिलने वाली सहायता में अंतर होने से विवाद बढ़ता जा रहा है। लगातार मांग की जा रही है कि अग्निवीर के परिवारों को भी नियमित सैनिकों की तरह पेंशन मिलनी चाहिए।
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