महाराष्ट्र में बीजेपी को बड़ा झटका: महाराष्ट्र में हाल ही में एक राजनीतिक घटनाक्रम ने सबका ध्यान खींचा है। अशोक चव्हाण के तीन करीबी, जो कि राजनीति में महत्वपूर्ण व्यक्ति माने जाते हैं, बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। इस घटनाक्रम को कांग्रेस के लिए एक बड़ी जीत और बीजेपी के लिए झटका माना जा रहा है, खासकर नांदेड़ लोकसभा उपचुनाव से पहले। इस लेख में, हम इस घटनाक्रम के पीछे की कहानी, इसके नतीजे और इससे जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।
कांग्रेस में शामिल हुए तीन बड़े नेता
महाराष्ट्र की राजनीति में यह खबर किसी धमाके से कम नहीं है कि अशोक चव्हाण के तीन करीबी नेता—उनके बहनोई और पूर्व सांसद भास्करराव पाटील खतगांवकर, उनकी बहन डॉ. मीनल पाटील खतगांवकर, और पूर्व विधायक ओम प्रकाश पोकर्णा—ने बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है। यह घटनाक्रम महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और नांदेड़ लोकसभा उपचुनाव से ठीक पहले हुआ है, जो कि राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है।
नाना पटोले, जो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं, ने इस घटना को कांग्रेस के लिए एक मजबूत कदम बताया। उन्होंने कहा कि भास्करराव पाटील बिना किसी पद या लालच के कांग्रेस में शामिल हुए हैं। कांग्रेस के संगठन को मजबूती देने के लिए उनका स्वागत किया गया है। यह कदम नांदेड़ में कांग्रेस के पुराने और मजबूत संगठन को और अधिक शक्तिशाली बनाएगा।
नांदेड़ उपचुनाव और इसका असर
नांदेड़ लोकसभा सीट पर उपचुनाव का आयोजन वसंत चव्हाण के निधन के बाद होना है। वसंत चव्हाण की मृत्यु के बाद, यह उपचुनाव कांग्रेस के लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है। कांग्रेस को उम्मीद है कि भास्करराव पाटील खतगांवकर और उनके साथ जुड़े अन्य नेताओं के आने से पार्टी को नांदेड़ में मजबूती मिलेगी।
इसके अलावा, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने इस कदम से बीजेपी को बड़ा झटका दिया है। नांदेड़ के चुनावी समीकरण में इस घटनाक्रम का असर साफ दिखाई देगा। खासकर तब, जब डॉ. मीनल पाटील ने पहले बीजेपी से टिकट मांगा था लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया था। उनका असंतोष कांग्रेस के लिए फायदे का सौदा बन गया।
कांग्रेस में परिवार के भीतर खींचतान
इस घटनाक्रम का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कांग्रेस ने अशोक चव्हाण के परिवार में ही सेंध लगा दी है। जबकि कांग्रेस ने पहले भी नांदेड़ सीट को अशोक चव्हाण के बिना जीतने में सफलता पाई थी, लेकिन उनके करीबियों को पार्टी में लाना कांग्रेस की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह कदम अशोक चव्हाण के लिए एक जवाबी चाल हो सकता है, क्योंकि वे खुद कुछ समय पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने यह भी चिंता जताई कि इन नेताओं के शामिल होने से पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जा सकता है। यह भी देखा जा रहा है कि क्या इसका असर आगामी चुनावों पर पड़ेगा।
भास्करराव पाटील का कांग्रेस में लौटना
भास्करराव पाटील खतगांवकर ने कांग्रेस में लौटने पर खुद को घर वापसी की तरह महसूस किया। उन्होंने कहा, “मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं घर लौट आया हूं। कांग्रेस पार्टी ने मुझे विधायक, सांसद और मंत्री के तौर पर सेवा का मौका दिया था। कुछ समय बीजेपी में रहने के बाद, अब मैं अपने असली घर में लौट आया हूं।”
उनके इस बयान से साफ है कि वे कांग्रेस के साथ एक मजबूत और स्थायी संबंध महसूस करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नाना पटोले के नेतृत्व में कांग्रेस फिर से मजबूती से खड़ी हो रही है और आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पहले से अधिक सीटें जीतने की ओर अग्रसर है।
यह घटनाक्रम महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। अशोक चव्हाण के करीबी नेताओं का कांग्रेस में शामिल होना न केवल बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे को भी मजबूत करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में यह घटनाक्रम किस दिशा में जाता है और क्या इसका कोई दूरगामी प्रभाव होगा।
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