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अयोध्या गैंगरेप केस: अखिलेश यादव के बयान से मचा राजनीतिक हंगामा, बाल आयोग ने जताई कड़ी आपत्ति

अयोध्या गैंगरेप केस: अखिलेश यादव के बयान से मचा राजनीतिक हंगामा, बाल आयोग ने जताई कड़ी आपत्ति

अयोध्या में 12 साल की बच्ची के साथ गैंगरेप के मामले ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले में डीएनए टेस्ट की मांग की है, जिससे राजनीतिक विवाद और बढ़ गया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने अखिलेश के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है।

गैंगरेप केस और अखिलेश का बयान

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 12 साल की बच्ची के साथ गैंगरेप के बाद जब सपा नेता मोईद खान का नाम सामने आया, तो राजनीतिक दलों ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा। अखिलेश ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए कहा कि जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, उनका डीएनए टेस्ट कराकर न्याय किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी दोषी हो, उसे सख्त सजा मिलनी चाहिए। अगर डीएनए टेस्ट के बाद आरोप झूठे साबित हों, तो संलिप्त सरकारी अधिकारियों को भी सजा मिलनी चाहिए।

बाल आयोग की आपत्ति

बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अखिलेश यादव के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि 12 साल की बच्ची का बलात्कार किया गया और इसके परिणामस्वरूप वह गर्भवती हो गई। प्रियंक ने कहा कि अखिलेश का बयान दिखाता है कि एक व्यक्ति को पकड़ लिया जाए और उनके प्रिय को छोड़ दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यह बयान सोच-समझकर दिया गया है ताकि आरोपी को बचाया जा सके।

अखिलेश की पोस्ट

अखिलेश यादव ने अपनी पोस्ट में लिखा कि कुकृत्य के मामले में जिन पर भी आरोप लगे हैं, उनका डीएनए टेस्ट कराया जाए और दोषियों को सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि अगर डीएनए टेस्ट के बाद आरोप झूठे साबित हों, तो सरकार के संलिप्त अधिकारियों को भी सजा दी जाए। प्रियंक कानूनगो ने कहा कि अखिलेश यादव एक सांसद हैं और सांसद बच्चों के संरक्षण के लिए कानून बनाते हैं। बच्चे सांसदों से उम्मीद करते हैं कि वे उनकी रक्षा करेंगे। अखिलेश का यह बयान उसी डीएनए का परिणाम है, जो उनके पिता स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव ने दिया था।

प्रियंक कानूनगो की टिप्पणी

प्रियंक कानूनगो ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने भी यूपी में नाबालिग लड़कियों के बलात्कार के मामलों में कहा था कि “लड़के हैं, इनसे गलती हो जाती है”। उन्होंने कहा कि अखिलेश का बयान उसी डीएनए का परिणाम है। प्रियंक ने कहा कि देश के सांसदों को बच्चों के प्रति संवेदनशीलता के साथ सोचना चाहिए और ऐसे बयानों से आरोपियों को बचाने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

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