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Baba Siddiqui Shooter Arrest: स्नैप चैट पर हुई डील से लेकर मर्डर तक, जानिए कैसे रची गई खूनी साजिश

Baba Siddiqui Shooter Arrest: स्नैप चैट पर हुई डील से लेकर मर्डर तक, जानिए कैसे रची गई खूनी साजिश
मुंबई की सड़कों पर हुए एक चर्चित अपराध ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। बाबा सिद्दीकी शूटर की गिरफ्तारी (Baba Siddiqui Shooter Arrest) से जुड़े इस मामले में अब नए-नए खुलासे हो रहे हैं। यह कहानी एक साधारण युवक से खतरनाक अपराधी बनने की यात्रा को दर्शाती है।

गिरफ्तारी का महत्वपूर्ण क्षण

मुंबई पुलिस और यूपी एसटीएफ की बड़ी कामयाबी (Mumbai Police and UP STF’s Major Success) के तहत शिवकुमार और उसके चार साथियों को बहराइच से पकड़ा गया। यह ऑपरेशन कई दिनों की मेहनत का नतीजा था। पुलिस टीम ने शिवकुमार के मूवमेंट पर नजर रखी और सटीक जानकारी के आधार पर कार्रवाई की। उसके साथियों – अनुराग कश्यप, ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी, आकाश श्रीवास्तव और अखिलेंद्र प्रताप सिंह की गिरफ्तारी ने इस नेटवर्क के विस्तार को उजागर किया है।

अपराध की दुनिया में कदम

शिवकुमार की कहानी एक साधारण कबाड़ी से शुरू होती है। पूना में उसकी दुकान थी, जहां वह रोजमर्रा की जिंदगी जी रहा था। लेकिन उसकी मुलाकात शुभम लोनकर से हुई, जो लॉरेंस बिश्नोई गैंग का सदस्य था। लोनकर ने उसे बड़े पैसों का लालच दिया और अपराध की दुनिया में खींच लिया। स्नैप चैट के जरिए लॉरेंस के भाई अनमोल बिश्नोई से संपर्क कराया गया। दस लाख रुपये की सुपारी और नियमित आय का वादा किया गया।

वारदात की तैयारी

शिवकुमार और उसके साथियों ने बाबा सिद्दीकी की दिनचर्या का गहन अध्ययन किया। उन्हें नए मोबाइल फोन और सिम कार्ड दिए गए। हथियार और गोला-बारूद की व्यवस्था की गई। शुभम लोनकर और मोहम्मद यासीन अख्तर ने सारा इंतजाम किया। टीम ने कई दिनों तक बाबा सिद्दीकी की गतिविधियों पर नजर रखी और सही मौके का इंतजार किया।

अपराध का दिन

12 अक्टूबर की रात को योजना को अंजाम दिया गया। त्योहार का समय था और सड़कों पर भीड़ थी। तीनों शूटर्स ने अपनी जगह ली और वारदात को अंजाम दिया। भीड़ की वजह से दो शूटर – धर्मराज कश्यप और गुरमेल सिंह मौके पर ही पकड़े गए। लेकिन शिवकुमार भीड़ का फायदा उठाकर फरार हो गया।

भागने का सफर

शिवकुमार ने अपना फोन रास्ते में फेंक दिया और मुंबई से पूना पहुंचा। वहां से वह झांसी और लखनऊ होते हुए बहराइच आया। इस दौरान वह अपने नेटवर्क से जुड़ा रहा और दूसरों के फोन से संपर्क करता रहा। उसकी योजना नेपाल भागने की थी, लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया।

जांच का विस्तार

पुलिस अब इस नेटवर्क की जड़ों की तलाश कर रही है। शिवकुमार की गिरफ्तारी से कई अहम जानकारियां मिली हैं। यह मामला बताता है कि कैसे छोटे शहरों के युवाओं को अपराध की दुनिया में खींचा जा रहा है। पुलिस टीम अब तक पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर आगे की कार्रवाई कर रही है।

मामले का महत्व

यह केस अंतर्राज्यीय अपराध नेटवर्क की कार्यप्रणाली को उजागर करता है। इसमें सोशल मीडिया का इस्तेमाल, आधुनिक तकनीक का प्रयोग और युवाओं को बहकाने के तरीके शामिल हैं। पुलिस के लिए यह एक महत्वपूर्ण सफलता है, जो आगे की जांच का आधार बनेगी।

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