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Bagram Air Base: जानिए क्यों अमेरिका बगराम एयर बेस वापस पाने के लिए बेताब है, क्या है पूरा मामला?

Bagram Air Base: जानिए क्यों अमेरिका बगराम एयर बेस वापस पाने के लिए बेताब है, क्या है पूरा मामला?

Bagram Air Base: अमेरिका फिर से अफगानिस्तान के बगराम एयर बेस पर नजर टिकाए बैठा है। चार साल पहले 2021 में बाइडेन के समय इसे छोड़ दिया गया था, लेकिन अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसे वापस लेने के लिए बेचैन हैं। बीते गुरुवार को ब्रिटेन के पीएम कीर स्टार्मर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने साफ कहा कि हम इसे वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि बगराम एयर बेस चीन के न्यूक्लियर हथियार बनाने वाली जगह से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है। तालिबान ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है।

बगराम एयर बेस काबुल से करीब 40 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। ये दुनिया के सबसे बड़े एयर बेस में से एक है, जहां दो कंक्रीट रनवे हैं। मुख्य रनवे 3.6 किलोमीटर लंबा है, जो भारी बॉम्बर और कार्गो प्लेन उतारने के लिए बना है। अमेरिका ने 2001 के 9/11 हमलों के बाद इसे कब्जे में लिया था। लगभग 20 साल तक ये अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मुख्यालय रहा। यहां हजारों सैनिक तैनात थे, और ये पूरे एशिया में अमेरिकी दबदबे का प्रतीक था।

ट्रंप का कहना है कि बाइडेन ने इसे बिना वजह छोड़ दिया। अगर उनका प्लान होता, तो छोटी सेना रखते। अब अमेरिका अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों पर दबाव डाल रहा है। मध्य एशिया में अमेरिका का कोई बड़ा एयर बेस नहीं बचा, जो चीन और भारत जैसे देशों पर नजर रख सके। ट्रंप के सलाहकारों का मानना है कि बगराम से चीन के शिनजियांग इलाके के न्यूक्लियर साइट्स, जैसे लोप नूर टेस्ट साइट, पर आसानी से निगरानी हो सकती है। चीन अपनी न्यूक्लियर ताकत तेजी से बढ़ा रहा है, जिससे अमेरिका चिंतित है।

अफगानिस्तान के अमीर खनिज संसाधनों पर भी अमेरिका की नजर है। तालिबान को मान्यता और सहायता के बदले ये बेस मांग रहा है। लेकिन तालिबान के विदेश मंत्रालय के अधिकारी जाकिर जलाल ने कहा कि अमेरिका के साथ आर्थिक और राजनीतिक रिश्ते तो हो सकते हैं, लेकिन कोई सैन्य मौजूदगी नहीं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि अफगानिस्तान का भविष्य अफगानों के हाथ में है। चीन ने भी कहा कि वो अफगानिस्तान की संप्रभुता का सम्मान करता है।

ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर बगराम नहीं मिला, तो बुरे हालात हो सकते हैं। अमेरिकी विशेष दूत एडम बोहलर हाल ही में काबुल गए और तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से मिले। ये मीटिंग अमेरिकी बंधकों की रिहाई पर थी, लेकिन बेस की बात भी हुई। पूर्व अमेरिकी अधिकारी कहते हैं कि इसे वापस लेना मुश्किल होगा, क्योंकि इससे 10,000 से ज्यादा सैनिक भेजने पड़ सकते हैं। तालिबान ने इसे पूरी तरह ठुकरा दिया है।

पाकिस्तान के पुराने एयर बेस जैसे शम्सी और शाहबाज का भी अमेरिका इस्तेमाल करना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान ने अब तक कुछ नहीं कहा। 2011 में ओसामा बिन लादेन की हत्या के बाद पाकिस्तान ने अमेरिका को वहां से निकाल दिया था। अब ट्रंप पाकिस्तानी आर्मी चीफ असीम मुनीर से भी बात कर रहे हैं। बगराम पर अमेरिका की वापसी से मध्य एशिया में नया तनाव पैदा हो सकता है।

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