महाराष्ट्र में पुरातत्व विभाग से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। विभाग की सहायक निदेशक को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है और विभाग के निदेशक पर भी भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने यह कार्रवाई की है।
नासिक में सदियों पुराने रामशेज किले के पास एक कारखाना मालिक रबर के टायरों से तेल निकालने का कारखाना लगाने की तैयारी कर रहा था। पुरातत्व विभाग के नियमों के अनुसार, ऐतिहासिक स्थलों के पास कोई भी नया काम शुरू करने के लिए पहले NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लेना ज़रूरी होता है। इस कारखाना मालिक ने भी पुरातत्व विभाग में NOC के लिए आवेदन कर दिया था।
पुरातत्व विभाग की सहायक निदेशक आरती मृणाल अले को इस NOC को जारी करने का काम मिला। उन्होंने पूरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद NOC जारी करने के लिए मुख्यालय को फाइल भेज दी। लेकिन ऐसा करने से पहले, आरती ने कारखाना मालिक से रिश्वत के तौर पर 1.5 लाख रुपये की मांग कर ली। परेशान होकर, कारखाना मालिक सीधे ACB के पास पहुंचा और शिकायत दर्ज करवाई। ACB ने एक पूरी योजना बनाई और आरती मृणाल अले को पैसे लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान पता चला कि इस काम में आरती अकेली नहीं थी, विभाग के निदेशक तेजस मदन गार्गे भी इसमें शामिल थे। ACB ने उन पर भी केस दर्ज कर लिया है।
यह मामला सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार को एक बार फिर उजागर करता है। अपने पद का गलत फायदा उठाकर लोगों से पैसे ऐंठना सरकारी अफसरों के लिए आम बात हो गई है।
एक दिलचस्प बात यह है कि सहायक निदेशक आरती मृणाल अले की अभी हाल ही में डिलीवरी हुई है। इसी वजह से उन्हें फिलहाल गिरफ्तार नहीं किया गया है, लेकिन जांच में शामिल होने और सहयोग करने का नोटिस जारी किया गया है।