हमारे चांद पर जाने वाले चंद्रयान-3 मिशन पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा था! जी हां, अंतरिक्ष में मौजूद कचरे से ये टकराकर तबाह हो सकता था, लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने अपनी सूझबूझ से इसे बचा लिया। इसरो की नई रिपोर्ट में इस पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया गया है।
चंद्रयान-3 को पिछले साल जुलाई में लॉन्च किया गया था। इसे एक खास रॉकेट के जरिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से भेजा गया था। ये मिशन इसलिए भी खास है क्योंकि भारत का ये पहला मिशन है जो चांद के दक्षिणी ध्रुव (साउथ पोल) पर उतरा।
कैसे पता चला खतरे के बारे में?
चंद्रयान-3 भेजने से पहले इसरो के वैज्ञानिकों ने हमेशा की तरह इसकी पूरी जांच-पड़ताल की थी। इसमें वो ये भी देखते हैं कि रास्ते में किसी सैटेलाइट या अंतरिक्ष के कबाड़ से टकराव तो नहीं होगा। इस बार जांच में वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष के ऐसे ही एक खतरनाक कचरे का पता चला।
फिर क्या किया वैज्ञानिकों ने?
वैज्ञानिकों ने तुरंत दिमाग लगाया और फिर मिशन की लॉन्चिंग में सिर्फ 4 सेकंड की देरी कर दी। बस ये छोटा सा बदलाव काफी था और चंद्रयान-3 को टकराव के खतरे से बचा लिया गया। इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने इस घटना की पूरी जानकारी अपनी रिपोर्ट में दी है।
ये घटना दिखाती है कि अंतरिक्ष में अब कितना कचरा भर गया है, जो बड़े-बड़े मिशन के लिए खतरा बन सकता है। साथ ही, इसरो के वैज्ञानिकों की तारीफ भी बनती है जिन्होंने अपनी फुर्तीली सोच से मिशन को बचाया।
इसरो के मुताबिक, धरती के आसपास कई भारतीय सैटेलाइट भी चक्कर लगा रहे हैं।
भारत के पास चंद्रमा के अलावा सूर्य और अंतरिक्ष के दूसरे हिस्सों के अध्ययन के लिए भी कुछ मिशन चल रहे हैं।