China Victory Day Parade: हर साल 3 सितंबर को चीन की राजधानी बीजिंग में तियानमेन स्क्वायर पर एक भव्य सैन्य परेड होती है, जिसे विक्ट्री डे परेड कहा जाता है। यह परेड सिर्फ सैनिकों और हथियारों का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरा ऐतिहासिक और राजनीतिक मकसद छिपा है। इस साल 2025 में हुई परेड को अब तक की सबसे बड़ी परेड बताया जा रहा है। इसमें चीन ने अपनी अत्याधुनिक सैन्य तकनीक, जैसे हाइपरसोनिक मिसाइलें, डीएफ-61 बैलिस्टिक मिसाइल और जे-20 स्टेल्थ फाइटर जेट्स का प्रदर्शन किया। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन जैसे बड़े नेता भी इस परेड में शामिल हुए, जिसने इसे वैश्विक सुर्खियों में ला दिया। आइए जानते हैं कि यह परेड क्यों होती है और इसका जापान के साथ हुए युद्ध से क्या कनेक्शन है।
विक्ट्री डे परेड का मकसद 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में जापान के आत्मसमर्पण को याद करना है। चीन इसे जापान पर विजय दिवस के रूप में मनाता है। बात 1937 की है, जब जापान ने चीन पर हमला किया था। इस युद्ध को इतिहास में द्वितीय सिनो-जापानी युद्ध कहा जाता है, जो 1937 से 1945 तक चला। युद्ध की शुरुआत बीजिंग के पास मार्को पोलो ब्रिज पर हुई एक छोटी सी घटना से हुई थी, जिसके बाद जापानी सेना ने चीन के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया। इस दौरान सबसे दर्दनाक घटना थी नानजिंग नरसंहार। 1937-1938 में जापानी सेना ने नानजिंग शहर में लाखों चीनी नागरिकों और सैनिकों की हत्या की और भयानक अत्याचार किए। इतिहासकारों के अनुसार, इस नरसंहार में करीब 2 से 3 लाख लोग मारे गए। यह युद्ध 8 साल तक चला और 2 सितंबर 1945 को जापान के आत्मसमर्पण के साथ खत्म हुआ।
चीन के लिए यह जीत सिर्फ एक युद्ध की जीत नहीं थी, बल्कि यह उनके राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गई। 3 सितंबर को जापान के आत्मसमर्पण की याद में चीन ने विक्ट्री डे परेड की परंपरा शुरू की। इस परेड के जरिए चीन अपने लोगों को उस दौर के संघर्ष और बलिदान की याद दिलाता है। 2025 की परेड में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने भाषण में कहा कि यह जीत आधुनिक इतिहास में चीन की पहली पूरी जीत थी। उन्होंने यह भी कहा कि चीन आज भी शांति और सहयोग के रास्ते पर चल रहा है, लेकिन किसी भी बाहरी चुनौती से डरने वाला नहीं है।
हालांकि, आज की विक्ट्री डे परेड सिर्फ इतिहास को याद करने तक सीमित नहीं है। यह चीन की सैन्य ताकत और वैश्विक प्रभाव को दिखाने का एक बड़ा मंच बन चुकी है। इस साल की परेड में चीन ने अपनी नई मिसाइलें, जैसे डीएफ-61 और जेएल-3, दिखाईं, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं और अमेरिका तक पहुंच सकती हैं। इसके अलावा, जे-20एस और जे-35 स्टेल्थ जेट, एचक्यू-20 एयर डिफेंस सिस्टम और मानवरहित ड्रोन भी प्रदर्शित किए गए। इन हथियारों ने दुनिया को यह संदेश दिया कि चीन अब तकनीक और सैन्य ताकत में किसी से पीछे नहीं है। परेड में 10 हजार से ज्यादा सैनिकों और 100 से ज्यादा विमानों ने हिस्सा लिया, जो इसे अब तक की सबसे बड़ी परेड बनाता है।
इस परेड का एक और बड़ा मकसद है दुनिया को अपनी ताकत का एहसास कराना। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने भाषण में बिना नाम लिए अमेरिका और पश्चिमी देशों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि चीन किसी की धमकी से नहीं डरता और वह वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार है। परेड में रूस, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों के नेताओं की मौजूदगी ने इसे और भी खास बना दिया। यह दिखाता है कि चीन एक नई वैश्विक व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, जिसमें वह पश्चिमी देशों के खिलाफ गैर-पश्चिमी देशों को एकजुट करना चाहता है। जापान ने इस परेड में विदेशी नेताओं की मौजूदगी पर आपत्ति जताई थी, लेकिन चीन ने इसका जवाब देते हुए जापान के खिलाफ राजनयिक विरोध दर्ज किया।
चीन और जापान के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है। 19वीं सदी से ही दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। 1894-1895 में प्रथम सिनो-जापानी युद्ध में जापान की जीत ने चीन की कमजोरी को उजागर किया था। इसके बाद द्वितीय सिनो-जापानी युद्ध ने दोनों देशों के बीच कटुता को और बढ़ा दिया। आज भी दक्षिण चीन सागर और सेनकाकु द्वीप जैसे मुद्दों पर दोनों देशों में तनाव है। विक्ट्री डे परेड के जरिए चीन न केवल अपने इतिहास को जीवित रखता है, बल्कि जापान और दुनिया को अपनी ताकत का संदेश भी देता है।
2025 की इस परेड ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान खींचा है। यह सिर्फ एक सैन्य प्रदर्शन नहीं है, बल्कि चीन की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। यह परेड बताती है कि चीन अब एक कमजोर देश नहीं है, बल्कि एक ऐसी शक्ति है जो दुनिया के मंच पर अपनी जगह बना चुकी है।
#ChinaVictoryParade #JapanWar #NanjingMassacre #MilitaryPower #XiJinping
ये भी पढ़ें: Maratha Quota: मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार झुकी, जानें किन राज्यों में 50% से ज्यादा है कोटा सिस्टम?