महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार, 24 जुलाई को दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में मराठी भाषा, साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने वाले दो विशेष केंद्रों का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने मराठी भाषा विवाद पर भी खुलकर अपनी बात रखी और भाषाई एकता का संदेश दिया। लेकिन इस आयोजन से पहले SFI कार्यकर्ताओं के विरोध ने माहौल को गर्म कर दिया। आइए, जानते हैं इस कार्यक्रम की पूरी कहानी!
भाषा है संवाद का पुल, विवाद का नहीं
JNU में बच्चों को संबोधित करते हुए फडणवीस ने मराठी भाषा के गौरव पर जोर दिया, लेकिन साथ ही एक बड़ा संदेश भी दिया। उन्होंने कहा, “मराठी व्यक्ति संकीर्ण सोच नहीं रख सकता। हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व है, लेकिन अन्य भारतीय भाषाओं का भी उतना ही सम्मान करना चाहिए।” ये बयान ऐसे समय में आया है, जब महाराष्ट्र में त्रि-भाषा फार्मूला और “हिंदी थोपने” के आरोपों को लेकर सियासी और सामाजिक बहस जोरों पर है।
फडणवीस ने संत ज्ञानेश्वर और छत्रपति शिवाजी महाराज के विचारों का हवाला देते हुए कहा कि मराठी संस्कृति कभी संकीर्णता की समर्थक नहीं रही। “भाषा संवाद का माध्यम है, मतभेद का नहीं,” उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा। पीटीआई के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार की भाषा नीति मराठी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं को भी समान महत्व देती है।
JNU में मराठी और शिवाजी की धूम
फडणवीस ने JNU परिसर में दो महत्वपूर्ण केंद्रों का उद्घाटन किया:
कुसुमाग्रज मराठी भाषा, साहित्य और संस्कृति केंद्र: मराठी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए।
श्री छत्रपति शिवाजी महाराज सुरक्षा एवं सामरिक अध्ययन केंद्र: रणनीति और सुरक्षा के क्षेत्र में शोध को प्रोत्साहन।
इसके साथ ही, उन्होंने घोषणा की कि JNU परिसर में जल्द ही छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। JNU की कुलपति शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है।
त्रि-भाषा फार्मूला और सियासी तूफान
हाल ही में महाराष्ट्र में त्रि-भाषा फार्मूला लागू करने का फैसला विवादों में घिर गया था। MNS और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने इसे “हिंदी थोपने” का प्रयास बताकर विरोध जताया। इस मुद्दे पर इतना हंगामा हुआ कि सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। दिलचस्प बात ये है कि इस विवाद ने लंबे समय से अलग रहे ठाकरे बंधुओं को एक मंच पर ला दिया।
SFI का विरोध, लेकिन फडणवीस अडिग
कार्यक्रम से पहले JNU परिसर में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के कार्यकर्ताओं ने फडणवीस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन मुख्यमंत्री ने हार नहीं मानी और भाषाई एकता और सहिष्णुता पर अपने विचार दृढ़ता से रखे। उनके इस संदेश ने न केवल मराठी गौरव को बल्कि भारतीय भाषाओं की एकता को भी रेखांकित किया।
क्या है इस आयोजन का महत्व?
ये आयोजन न केवल मराठी भाषा और संस्कृति को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने का प्रयास है, बल्कि ये भी दर्शाता है कि भाषा और संस्कृति के मुद्दों पर संवाद से समाधान निकाला जा सकता है। फडणवीस का ये कदम मराठी अस्मिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारतीय भाषाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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