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Congress’s Treatment of Rao: कांग्रेस दफ्तर के बाहर पड़ा था नरसिम्हा राव का शव, लेकिन नहीं खुले कार्यालय के दरवाजे!

Congress's Treatment of Rao: कांग्रेस दफ्तर के बाहर पड़ा था नरसिम्हा राव का शव, लेकिन नहीं खुले कार्यालय के दरवाजे!

Congress’s Treatment of Rao: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव (P.V. Narasimha Rao) का नाम देश की राजनीति और आर्थिक सुधारों में बड़ा योगदान देने वालों में गिना जाता है। उन्होंने 1991 के बाद भारत में कई महत्वपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक फैसले लिए, जिनका असर आज तक महसूस होता है। लेकिन उनके निधन के बाद उनकी पार्टी कांग्रेस (Congress) का रवैया चर्चा का विषय बना रहा।

23 दिसंबर 2004 को पीवी नरसिम्हा राव का निधन हुआ। उनके निधन के बाद उनकी पार्टी ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया, जिसकी उम्मीद उनके परिवार और समर्थकों ने की थी। उनके शव को पार्टी दफ्तर के बाहर 30 मिनट तक इंतजार करना पड़ा, लेकिन कांग्रेस के दरवाजे नहीं खुले।


कांग्रेस दफ्तर का गेट क्यों नहीं खुला?

पीवी नरसिम्हा राव के निधन के बाद उनका शव कांग्रेस के मुख्यालय, 24 अकबर रोड, लाया गया। यह उम्मीद की जा रही थी कि पार्टी अपने नेता को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए दफ्तर के अंदर शव को रखेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

लेखक विनय सीतापति ने अपनी किताब ‘हाफ लॉयन: हाउ पीवी नरसिम्हा राव ट्रांसफॉर्म्ड इंडिया’ (Half Lion: How P.V. Narasimha Rao Transformed India) में लिखा है कि राव का शव सेना की गाड़ी में था और इसे 30 मिनट तक कांग्रेस कार्यालय के बाहर इंतजार करना पड़ा। जब गेट खोलने को कहा गया, तो जवाब मिला कि “अंदर से आदेश नहीं आया।”

यह भी कहा गया कि सोनिया गांधी ने कार्यालय के बाहर आकर राव को श्रद्धांजलि दी और शव को वहीं से वापस भेज दिया गया।


दिल्ली में क्यों नहीं हुआ अंतिम संस्कार?

राव के बेटे प्रभाकरा ने अपनी राय रखते हुए कहा कि उन्हें यह महसूस हुआ कि सोनिया गांधी नहीं चाहती थीं कि उनके पिता का अंतिम संस्कार दिल्ली में हो। यही कारण था कि राव के शव को हैदराबाद ले जाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ।

हैदराबाद में हुए अंतिम संस्कार में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी शामिल हुए, लेकिन सोनिया गांधी वहां नहीं गईं।


कांग्रेस पार्टी पर आरोप: सम्मान में कमी

पीवी नरसिम्हा राव के परिवार और समर्थकों ने कांग्रेस पर कई आरोप लगाए। उनके भाई मनोहर राव ने कहा कि कांग्रेस ने न तो नरसिम्हा राव के लिए दिल्ली में सम्मानजनक जगह दी और न ही उनके लिए स्मारक या प्रतिमा बनवाई।

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में राव को भारत रत्न जैसे सम्मान से भी वंचित रखा गया।


विनय सीतापति की किताब में क्या लिखा है?

लेखक विनय सीतापति ने अपनी किताब में राव की कहानी को बेहद गहराई से लिखा है। उन्होंने बताया कि राव के निधन के बाद उन्हें अपनी ही पार्टी से वह समर्थन और सम्मान नहीं मिला, जिसकी अपेक्षा थी।

किताब में इस बात का जिक्र है कि कांग्रेस के भीतर राव को लेकर असंतोष था, और उनका दिल्ली में अंतिम संस्कार न होने देना इसी का संकेत था।


राजनीतिक विरासत और विवाद

पीवी नरसिम्हा राव ने 1991 के आर्थिक सुधारों के जरिए भारत को नई दिशा दी। लेकिन उनकी राजनीतिक विरासत पर कांग्रेस का व्यवहार सवाल खड़े करता है। उनके परिवार ने बार-बार यह सवाल उठाया कि राव के योगदान को क्यों नजरअंदाज किया गया।


पीवी नरसिम्हा राव (P.V. Narasimha Rao) का जीवन और उनके बाद का घटनाक्रम भारतीय राजनीति में एक बड़ा विवाद बन गया। उनके परिवार और समर्थकों का मानना है कि कांग्रेस ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया, जो एक पूर्व प्रधानमंत्री को मिलना चाहिए था।

यह घटना सिर्फ एक राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि इस बात का उदाहरण है कि कैसे कभी-कभी बड़े योगदान करने वालों को भी उचित पहचान और सम्मान नहीं मिल पाता।


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