मुंबई की एक अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा है कि यदि कोई व्यक्ति प्रेम संबंध टूटने के बाद आत्महत्या कर लेता है, तो उसके पूर्व साथी (ex-partner) पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा नहीं चल सकता।
आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में यह देखा जाता है कि क्या किसी व्यक्ति ने जानबूझकर दूसरे व्यक्ति को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। कई बार दुख या मानसिक परेशानी की वजह से लोग आत्महत्या कर लेते हैं।
मुंबई में नितिन केनी नाम के युवक ने 2016 में आत्महत्या कर ली थी। पुलिस ने नितिन की पूर्व प्रेमिका मनीषा चुडासमा और उसके मंगेतर राजेश पंवार पर आत्महत्या के लिए उकसाने (abetment to suicide) का मुकदमा दर्ज किया था।
कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि नितिन, मनीषा से प्रेम करता था। लेकिन मनीषा ने उससे संबंध तोड़कर राजेश से सगाई कर ली थी। इस वजह से नितिन को मानसिक आघात लगा और उसने आत्महत्या कर ली। कोर्ट ने कहा कि भले ही नैतिक रूप से प्रेम संबंध बीच में तोड़ना ग़लत है, लेकिन इसके लिए क़ानून में कोई सज़ा नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला तभी बनता है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर दूसरे व्यक्ति को आत्महत्या के लिए प्रेरित करता है।
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इस मामले में कोर्ट ने मनीषा चुडासमा और उसके मंगेतर को बरी कर दिया है, क्योंकि नितिन ने ख़ुद अपनी जान ली थी।