अबू धाबी के क्राउन प्रिंस, शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की पहली आधिकारिक भारत यात्रा का आगाज़ हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर क्राउन प्रिंस रविवार को नई दिल्ली पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। इस यात्रा के दौरान वे कई उच्चस्तरीय बैठकों और कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे, जिससे भारत और यूएई के बीच संबंध और भी मज़बूत होंगे।
भारत और यूएई के बीच ऐतिहासिक संबंध
भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। यह साझेदारी पिछले कुछ वर्षों में राजनीतिक, व्यापारिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से और भी गहरी हुई है। क्राउन प्रिंस की यह यात्रा इन संबंधों को और भी प्रगाढ़ करने के उद्देश्य से की जा रही है। यात्रा का मुख्य फोकस व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है।
भारत और यूएई के बीच हाल ही में व्यापारिक संबंधों में बड़ी उन्नति हुई है। वर्ष 2022 में दोनों देशों के बीच व्यापार 85 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जिससे यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया। भारत और यूएई के इस घनिष्ठ संबंध का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भारत यूएई के लिए दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
प्रधानमंत्री से मुलाकात और द्विपक्षीय चर्चा
क्राउन प्रिंस अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे, जहाँ दोनों देशों के बीच विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। यह बैठक दोनों देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें द्विपक्षीय सहयोग के कई क्षेत्रों में नई संभावनाओं को तलाशा जाएगा। साथ ही, भारत-यूएई की रणनीतिक साझेदारी को और अधिक गहरा करने के उपायों पर विचार किया जाएगा।
इसके अलावा, क्राउन प्रिंस महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए राजघाट भी जाएंगे। सोमवार को वे एक महत्वपूर्ण व्यापारिक फोरम में भी हिस्सा लेंगे, जिसमें भारत और यूएई के उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियां शामिल होंगी। इस फोरम में व्यापार और निवेश से संबंधित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की संभावना है, जो दोनों देशों की आर्थिक प्रगति के लिए अत्यधिक लाभदायक हो सकता है।
द्विपक्षीय संबंधों में नया मोड़
अबू धाबी के क्राउन प्रिंस की यह यात्रा भारत-यूएई के संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ने वाली है। इससे न केवल मौजूदा सहयोग के क्षेत्रों को बल मिलेगा, बल्कि नए क्षेत्रों में भी साझेदारी के अवसर खुलेंगे। ऊर्जा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाएं अत्यधिक हैं। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों में भी संबंध और गहरे होने की उम्मीद है।
यूएई के राष्ट्रपति और सुल्तान मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने भी इसी वर्ष जनवरी में भारत की यात्रा की थी, जहाँ उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और भी मज़बूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण चर्चाएँ की थीं। दोनों देशों के बीच इस प्रकार के उच्चस्तरीय संवाद से स्पष्ट है कि भारत और यूएई के संबंध निकट भविष्य में और भी समृद्ध होंगे।
भारत-यूएई व्यापारिक संबंधों में वृद्धि
भारत और यूएई के बीच व्यापारिक संबंध पहले से ही काफी मजबूत हैं और इस यात्रा से दोनों देशों के बीच व्यापार के नए रास्ते खुलने की उम्मीद है। यूएई में बसे भारतीयों की बड़ी संख्या और दोनों देशों के बीच निरंतर बढ़ता व्यापार इस संबंध को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। आने वाले समय में भारत और यूएई के बीच और अधिक निवेश, व्यापारिक समझौते और साझेदारी के मार्ग खुल सकते हैं, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
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