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Did Nehru Give UNSC Seat to China? नेहरू ने सचमुच भारत की UNSC सीट चीन को दे दी? अमित शाह के दावे ने मचाया तहलका!

Did Nehru Give UNSC Seat to China? नेहरू ने सचमुच भारत की UNSC सीट चीन को दे दी? अमित शाह के दावे ने मचाया तहलका!

Did Nehru Give UNSC Seat to China? केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 29 जुलाई 2025 को लोकसभा में एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 1950 के दशक में अमेरिका ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सीट का प्रस्ताव दिया था, लेकिन नेहरू ने इसे ठुकरा दिया। शाह का दावा है कि नेहरू ने कहा कि चीन एक बड़ा देश है और उसे यह सीट मिलनी चाहिए, वरना भारत के साथ उसके रिश्ते खराब हो जाएंगे। यह बात शाह ने इससे पहले 2022 में तवांग झड़प के दौरान भी कही थी। लेकिन क्या वाकई नेहरू ने भारत की सीट चीन को दे दी थी?

27 सितंबर 1955 को नेहरू ने संसद में साफ कहा था कि भारत को UNSC की स्थायी सीट के लिए कोई औपचारिक या अनौपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला। उन्होंने डॉ. जेएन पारेख के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि कुछ लोग गलत दावे कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं था। नेहरू ने कहा कि UNSC का गठन संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत हुआ था, जिसमें पांच देशों—अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ और चीन—को स्थायी सदस्य बनाया गया। बिना चार्टर में बदलाव के कोई नया सदस्य नहीं जोड़ा जा सकता।

1950 के दशक में शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ के बीच तनाव था। उस समय UNSC में चीन की सीट ताइवान (रिपब्लिक ऑफ चाइना) के पास थी। 1949 में माओ के पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) के बनने के बाद भी संयुक्त राष्ट्र ने ताइवान को ही मान्यता दी। भारत उस समय PRC को UNSC में शामिल करने का समर्थक था। नेहरू ने 1955 में लिखा था कि भारत चीन को संयुक्त राष्ट्र से बाहर रखने के किसी भी कदम का समर्थन नहीं करेगा।

कुछ इतिहासकारों और विशेषज्ञों, जैसे शशि थरूर और के. नटवर सिंह, का कहना है कि अमेरिका ने भारत को UNSC सीट का कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं दिया था। कुछ अनौपचारिक सुझाव जरूर आए थे कि अगर चीन को बाहर रखा जाए तो भारत को सीट मिल सकती है, लेकिन यह कोई पक्का ऑफर नहीं था। नेहरू का मानना था कि चीन जैसे बड़े एशियाई देश को UNSC से बाहर रखना गलत होगा। भारत उस समय न सैन्य ताकत में मजबूत था, न ही वैश्विक स्तर पर उसका दबदबा था, इसलिए वह इस भूमिका के लिए तैयार नहीं था।

पूर्व विदेश सचिव महाराजकृष्ण रसगोत्रा ने 2015 में दावा किया था कि अमेरिका ने 1955 में सोवियत संघ के जरिए भारत को UNSC सीट की पेशकश की थी, लेकिन नेहरू ने इसे ठुकरा दिया। हालांकि, नेहरू के पत्र और दस्तावेज इस दावे का समर्थन नहीं करते। संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक रिकॉर्ड में भी भारत को स्थायी सीट देने का कोई सबूत नहीं है। 1971 में PRC को ताइवान की जगह UNSC में शामिल किया गया।

इसलिए यह कहना कि नेहरू ने भारत की सीट चीन को दे दी, पूरी तरह सही नहीं है। यह एक राजनीतिक दावा है, जिसका कोई ठोस दस्तावेजी सबूत नहीं मिलता। नेहरू ने चीन के लिए UNSC सीट का समर्थन जरूर किया था, लेकिन भारत को कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला था, जिसे वे ठुकरा सकते।

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