Dog Fights Leopard to Save Pups: मुंबई की हलचल भरी जिंदगी में एक ऐसी घटना सामने आई है, जो दिल को छू लेती है। यह कहानी है एक मां कुत्ते की, जिसने न सिर्फ तेंदुए के हमले से अपनी जान बचाई, बल्कि अपने दस नन्हे बच्चों को पालने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई। यह घटना गोरेगांव के आरे कॉलोनी में हुई, जहां प्रकृति और इंसान एक साथ रहते हैं। इस कहानी में हिम्मत है, ममता है और एक ऐसा सबक है, जो हम सबको कुछ न कुछ सिखा सकता है। तो चलिए, इस रोमांचक और भावुक सफर को करीब से देखते हैं।
यह सब तब शुरू हुआ, जब आरे कॉलोनी में एक रात को सीसीटीवी कैमरे ने एक खौफनाक मंजर कैद किया। एक तेंदुआ चुपचाप एक सोते हुए कुत्ते के पास पहुंचा। यह कुत्ता कोई आम कुत्ता नहीं था, बल्कि दस पिल्लों की मां थी। तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया और उसे गले से पकड़कर खींचने लगा। देखने में ऐसा लग रहा था कि अब इस नन्ही जान का बचना मुश्किल है। लेकिन कहते हैं न, मां की ताकत को कोई नहीं रोक सकता। उसने हार नहीं मानी और किसी तरह तेंदुए के चंगुल से छूटकर अपनी जान बचा ली। इस हमले में उसकी गर्दन बुरी तरह जख्मी हो गई, लेकिन उसकी कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।
इस घटना की खबर जैसे ही सामाजिक कार्यकर्ता यामिनी पाल तक पहुंची, उन्होंने इसे दुनिया के सामने लाने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि यह मां कुत्ता, जिसका नाम अब शक्ति (शक्ति / Shakti) रखा गया है, अपने जख्मों के बावजूद फिर से अपने बच्चों के पास लौटी। सीसीटीवी में साफ दिखा कि वह अपने दस पिल्लों को दूध पिलाने की कोशिश कर रही थी। उस वक्त पिल्ले उस जगह से थोड़ी दूर थे, जिसकी वजह से वे तेंदुए के हमले से बच गए। लेकिन शक्ति की हालत देखकर हर कोई हैरान था। उसकी गर्दन से खून बह रहा था और वह चल भी मुश्किल से पा रही थी। फिर भी, उसने अपने बच्चों को अकेला नहीं छोड़ा।
आरे कॉलोनी के स्थानीय आदिवासी समुदाय ने इस मां की हिम्मत को देखकर उसकी मदद का जिम्मा उठाया। उन्होंने शक्ति के पिल्लों को अपने घरों में रखा और उनकी देखभाल शुरू की। ये पिल्ले अभी दो महीने से थोड़े बड़े हैं और इन्हें हाथ से दूध पिलाया जा रहा है। दूसरी तरफ, शक्ति को इलाज के लिए अंधेरी की टॉप डॉग पेट्स क्लिनिक में ले जाया गया। वहां पशु चिकित्सक डॉ. मकरंद चौसालकर ने उसकी जांच की। उन्होंने पाया कि तेंदुए के हमले से शक्ति की खाने की नली (खाने की नली / Food Pipe) में छेद हो गया था। इस वजह से वह जो कुछ भी खाती-पीती, वह बाहर निकल जाता था। घाव के आसपास संक्रमण भी फैलने लगा था, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई थी।
शक्ति की जान बचाने के लिए एक बड़ी सर्जरी की जरूरत थी। कुछ दिन पहले पशु चिकित्सकों की एक टीम, जिसमें डॉ. बैरी कल्सी, डॉ. अक्षता गुलवाडी और डॉ. काव्या सुधाकर शामिल थे, ने उसका ऑपरेशन किया। सर्जरी में शक्ति की खाने की नली (खाने की नली / Food Pipe) के जख्मी हिस्से को सिला गया। यह ऑपरेशन आसान नहीं था, लेकिन डॉ. चौसालकर ने बताया कि सब कुछ ठीक रहा। अब शक्ति धीरे-धीरे ठीक हो रही है। अंधेरी की एनजीओ वर्ल्ड फॉर ऑल की संस्थापक तारोनिश बलसारा ने कहा कि शुरुआत में शक्ति की हालत बहुत नाजुक थी, लेकिन अब वह रिकवरी की राह पर है।
इस बीच, शक्ति के पिल्लों की देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही। आरे के लोग उन्हें प्यार से पाल रहे हैं, ताकि उनकी मां के बिना उनकी सेहत पर असर न पड़े। यह देखकर दिल को सुकून मिलता है कि कैसे एक छोटी सी जगह में इंसान और जानवर एक-दूसरे के लिए खड़े हो रहे हैं। शक्ति की कहानी सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रही है। लोग उसकी हिम्मत और ममता की तारीफ कर रहे हैं। यह घटना सिर्फ एक कुत्ते की नहीं, बल्कि उस मां की ताकत की कहानी है, जो अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती है।
आरे कॉलोनी, जो मुंबई का हरा-भरा इलाका है, अक्सर तेंदुओं के हमलों की खबरों में रहता है। यह जगह संजय गांधी नेशनल पार्क से सटी हुई है, जहां जंगली जानवरों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन शक्ति की यह कहानी कुछ अलग है। यह हमें दिखाती है कि मुश्किल से मुश्किल हालात में भी जिंदगी आगे बढ़ सकती है। शक्ति अब ठीक होने की राह पर है और उसके पिल्ले भी सुरक्षित हैं। यह कहानी हर उस शख्स तक पहुंच रही है, जो हिम्मत और प्यार की मिसाल ढूंढ रहा है।
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